UP Madarsa survey: उत्तर प्रदेश में निजी मदरसों का सर्वे शुरू हो चुका है। यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन और जिला प्रशासन की एक टीम यह सर्वे कर रही है। गुरुवार (15 सितंबर, 2022) को लखनऊ के दारुल उलूम नदवा मदरसे का भी सर्वे किया गया। हालांकि, इस दौरान लोगों ने हंगामा भी किया और सर्वे को लेकर विरोध जताया। जिला अल्पसंख्यक अधिकारी सोन कुमार भी सर्वे टीम का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि 12 बिंदुओं पर दारुल उलूम नदवा मदरसे का सर्वे किया गया और आय के स्त्रोतों की भी जांच की गई।
उन्होंने बताया कि आय के स्त्रोतों की जानकारी ली गई है और जनता जो चंदा देती है उससे इनका मदरसा चलता है। उन्होंने यह भी बताया, “यहां छात्रों के लिए सारी सुविधाएं हैं। इनके पास लाइब्रेरी है, जिसमें ढाई लाख किताबें हैं और छात्रों के बैठने के लिए भी स्पेस है।” सोन कुमार ने बताया कि मदरसे का कुछ हिस्सा निजी है और कुछ हिस्सा लीज पर लिया गया है।
सोन कुमार ने कहा कि सर्वेक्षण का उद्देश्य मदरसे की संबद्धता आदि के बारे में जानकारी एकत्र करना था। कुमार ने कहा कि उन्होंने 12 बिंदुओं के आधार पर मदरसे की जानकारी प्राप्त की, जिसमें मदरसा चलाने वाले संगठनों के नाम और विवरण, किस साल में स्थापना हुई, बिजली, पेयजल जैसी सुविधाएं, छात्रों की संख्या, पाठ्यक्रमों की जानकारी और आय के स्त्रोतों की जांच की गई है।
राज्य में पहली बार शनिवार को मुस्लिम मदरसों का सर्वे शुरू हुआ। सरकार के इस कदम की विपक्षी दल लगातार आलोचना कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बुरी मंशा से इस तरह के कार्यों से मुसलमानों को टारगेट करने का आरोप लगाया है।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे मुस्लिम संगठनों ने भी सर्वेक्षण का विरोध किया है। हालांकि, सरकार का कहना है कि सर्वे यह जानने के लिए करवाया जा रहा है कि वहां छात्रों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
