उत्तर प्रदेश के कन्नौज में एक शख्स अपनी गर्भवती पत्नी के इलाज के लिए कथित तौर पर साल भर के बेटे को बेचने जा रहा था, जिसकी जानकारी लगते ही पुलिस ने उसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय इंसानियत की मिसाल पेश की। स्थानीय मीडिया के मुताबिक कन्नौज के सौरिख के रहने वाले पेशे से दिहाड़ी मजदूर अरविंद कुमार की गर्भवती पत्नी सुखदेवी बीते मंगलवार (28 अगस्त) को बेहोश हो गई थी। अरविंद ने अपनी पत्नी को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में कथित तौर पर कुछ दलालों ने अरविंद को बताया कि उसकी पत्नी को खून की कमी है, जिससे उसकी गर्भावस्था को खतरा है। अरविंद से इलाज के लिए 25 हजार रुपये और 5 यूनिट खून की व्यवस्था करने के लिए कहा गया। पुलिस के मुताबिक रिश्तेदारों और दोस्तों से कोई मदद न पाकर 3 साल की एक बेटी के पिता अरविंद ने अपने बेटे को बेचने का फैसला कर लिया। पुलिस ने मीडिया को जानकारी दी कि एक संतानहीन दंपति कथित तौर पर बच्चे के बदले रुपये देने के लिए राजी हो गए। बच्चे के एवज में दंपति से 40 हजार रुपये मांगे गए थे लेकिन सौदा पर 30 हजार रुपयों में मुहर लगी।

अरविंद पैसों का इंतजार कर रहा था कि तभी बच्चा खरीदने के लिए तैयार हुए दंपति का मन बदल गया। महिला ने अपने पति से कहा कि इस तरह से बच्चा गोद लेने में उसकी रुचि नहीं है। महिला ने कथित तौर पर अपने पति से कहा कि वह पुलिस को इस बारे में सुचित कर दे। सूचना पाकर पुलिस बुधवार (29 अगस्त) की रात मौके पर पहुंची और अरविंद को बच्चे के साथ जिला अस्पताल के बाहर पैसों का इंतजार करते हुए पाया। पूछताछ में अरविंद ने बच्चे को बेचने का इरादा कबूल किया। पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय धन जुटाकर और उसकी बीमार पत्नी के लिए रक्तदान कर उसकी मदद की।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक सब इंस्पेक्टर ब्रिजेंद्र सिंह पुलिस की टीम को संचालित कर रहे थे। ब्रिजेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि पत्नी की हालत को लेकर अरविंद सहमा हुआ था और उसने बताया कि पैसों की खातिर वह अपने बच्चे को बेचना चाहता था। पुलिस ने उसे हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। पुलिस ने उसकी पत्नी को मेडीकल कॉलेज में भर्ती कराने के लिए भी उसे आश्वस्त किया। तिरवा पुलिस थाने के एसएचओ अमोद कुमार सिंह ने बाताया कि महिला अब कन्नौज के मेडीकल कॉलेज में है। कुछ दलालों और जिला अस्पताल के स्टाफ के लोगों ने शख्स को बच्चा बेचने के लिए कहा था।