नोएडा समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 विधान सभा सीटों पर गुरुवार शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम गया है। दिल्ली से सटी यूपी के सर्वाधिक विकसित शहर नोएडा सीट पर प्रचार की दौड़ में तक मुकाबले की दौड़ में भाजपा आगे रही। हालांकि बसपा और सपा एवं कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार भी कांटे के मुकाबले में बराबर की टक्कर का दावा कर रहे हैं। 2012 और 2014 में हुए उपचुनाव में भारी अंतर से जीत हासिल करने का परोक्ष फायदा भी भाजपा के पक्ष में जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा उम्मीदवार को पार्टी के अलावा घटक संगठन आरएसएस, विहिप, बजरंग दल, सरस्वती शिशु मंदिर समेत संघ की विचारधारा से जुड़े तमाम संगठनों का सहयोग मिला है। वहीं बड़ी उम्मीद के साथ हुए सपा- कांग्रेस के गठबंधन नोएडा सीट पर कुछ खास असर दिखाई नहीं दिया है।
विरोध के स्वर पर काबू
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह को भाजपा ने नोएडा सीट से उम्मीदवार बनाया है। शुरुआती दौर में बाहरी उम्मीदवार का ठप्पा लगने से भाजपा में स्थानीय स्तर पर जितने भी विरोध में स्वर उभरे थे, उन सभी पर भाजपा ने काबू पा लिया है। मौजूदा विधायक विमला बाथम, पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान, सांसद प्रतिनिधि संजय बाली अब पंकज को जिताने में लगे हुए हैं।
दूरी का भुगतना पड़ा खमियाजा
बसपा ने करीब ढाई महीने पहले पूर्व घोषित उम्मीदवार को बदलकर पंडित रविकांत मिश्र को उम्मीदवार घोषित किया था। 2012 विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार रहे ओमदत्त शर्मा के नजदीकी रहे रविकांत मिश्र को भी स्थानीय नेताओं और संगठन की दूरी का खमियाजा भुगतना पड़ा है। नसीमुद्दीन सिद्दिकी की जनसभा के अलावा अन्य कोई बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा। जबकि मौजूदा समय में जिले की अन्य सीटें जेवर और दादरी, दोनों पर बसपा का ही कब्जा है। पूर्व उम्मीदवार ओमदत्त शर्मा भी आखिरी समय में सपा के साथ खड़े हो गए हैं। सपा प्रचार में थोड़ी पिछड़ी हुई दिखाई दी।