जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा में अंत तक आम सहमति नहीं बन सकी जिसके चलते आज नामांकन के अंतिम दिन पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी शकुन सिंह और पार्टी के विद्रोही प्रत्याशी अरुण सिंह दोनों ने ही अपना अपना नामांकन कराया। दरअसल भाजपा ने अरुण सिंह को अपने प्रत्याशी के तौर पर उतारा था लेकिन माखी गांव की बलाक्कार पीड़िता द्वारा विरोध किए जाने के बाद उनका टिकट काट दिया गया। उन्नाव रेप कांड के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर के करीबी और रणवेंद्र प्रताप सिंह के दामाद होने की वजह से उनकी उम्मीदवारी का विरोध होने लगी।

पार्टी में शुरू हुई धडेबाज़ी को लेकर आलाकमान के तमाम निर्देशों के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज, सदर विधायक पंकज गुप्ता, सफ़ीपुर विधायक बंबालाल दिवाकर व विधान परिषद सदस्य अरुण पाठक जिला मुख्यालय में रहने के बावजूद भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी शकुन सिंह के नामांकन में साथ नहीं रहे।

माखी गांव की बलात्कार पीड़िता के द्वारा भाजपा के घोषित प्रत्याशी अरुण सिंह का विरोध किये जाने के बाद पार्टी आलाकमान द्वारा आनन फ़ानन में अरुण सिंह की प्रत्याशिता समाप्त कर बाहुबली पूर्व एम0 एल0 सी0 स्व0 अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर कर दिया। लेकिन इस बीच पूर्व प्रत्याशी अरुण सिंह द्वारा पार्टी के बड़े नेताओं के समक्ष अपने को पाक साफ बताते हुए सीबीआई द्वारा क्लीन चिट दिये जाने का मुद्दा उठाया जिसके चलते शकुन सिंह के समर्थन में होने वाली प्रेसवार्ता स्थगित कर दी गई।

प्रत्याशी का आरोप, किडनैप कर जबरदस्ती जॉइन करा दी गई बीजेपी

अरुण सिंह ने समाज मे यह संदेश दिया कि उनकी मांग पर नये प्रत्याशी की स्पष्ट घोषणा नहीं की गई है। जिलाध्यक्ष राजकिशोर रावत भी यह कहते देखे गए कि इस प्रकरण पर विचार मन्थन कर शुक्रवार को देर शाम तक निर्णय लिया जायेगा परन्तु ऐसा हो नहीं सका। हालांकि इस अन्तराल में पार्टी के दोनों तथाकथित प्रत्याशी भाजपा के जनपदीय कार्यालय से लगाकर प्रदेश मुख्यालय तक दौड़भाग करते रहे।

इस मामले को लेकर दो धड़ों में बटी भाजपा का एक गुट अरुण सिंह तो दूसरा शकुन सिंह का समर्थन कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गुटबाजी के कारण भाजपा पहले ही यहाँ अपनी भद पिटवा चुकी है।

उन्नाव में जिला पंचायत के 51 सदस्य हैं जिसमे भाजपा समर्थित 9 और सपा समर्थित 19 जिला पंचायत सदस्यों ने अपनी जीत दर्ज कराई है। इन सबसे अलग अपना सियासी अस्तित्व खो चुकी बसपा यहां मात्र 3 सीटों पर सिमट कर रह गई जबकि उन्नाव में निर्दलीय सदस्यों की संख्या 20 है। जो किसी भी पार्टी प्रत्याशी के जीत हार का कारण बनेगी। क्योंकि 51 सदस्यीय जिला पंचायत में अध्यक्ष बनने के लिए 26 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है। हालांकि जीत के लिए सपा प्रत्याशी को 7 सदस्य तथा भाजपा प्रत्याशी के लिए 17 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी।