केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने बताया कि मुजफ्फरपुर में चमकी बीमारी (ऐंसीफलाटिस) की रोकथाम के उपाय व्यापक पैमाने पर बिहार सरकार केंद्र सरकार से मिलकर करने में जुटी है। वहां उच्चस्तरीय सात विशेषज्ञों का दल भेजा गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षबर्धन केंद्रीय सरकार की टीम को ले इतवार को मुजफ्फरपुर पहुंच रहे है। वे खुद भी वहां सारे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर जा रहे है। देवघर के सर्किट हाउस में उनसे शनिवार शाम आठ बजे इस संवाददाता की एक खास मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि बच्चों की मौत बड़ी चिंता का विषय है। और केंद्र व बिहार सरकार काफी चिंतित है। इस बीमारी में पीड़ित बच्चों के शरीर में चीनी की कमी हो जाती है। जिसे मेडिकल भाषा में हाइपोग्लॉसीमया कहा जाता है। वे देवघर में खुलने वाले एम्स के कार्यों की प्रगति समीक्षा करने आए थे।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी का उत्तर बिहार के गोपालपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर बगैरह इलाके में ज्यादा प्रकोप है। साथ ही बिहार से उत्तरप्रदेश की सटी सीमा गोरखपुर के ग़ांव भी चपेट में है। गया, जहानाबाद, नवादा इलाकों में जापानी बुखार का प्रकोप है। इन सब बीमारियों का इलाज सघन तरीके से करने के उपाय किए जा रहे है। केंद्रीय राज्यमंत्री ने माना कि 2014 के बाद इस बीमारी से थोड़ी बहुत मौतें हुई थी। बीते साल तो एक-दो मौतें ही हुई। मगर अबकी दस-पंद्रह दिनों से इस बीमारी का प्रकोप तेजी से बढ़ा है। वे बोले कि दरअसल गांवों के गरीब बच्चे भूखे पेट सो जाते है। लीची का मौसम है। बगीचे से कच्ची लीची चुनकर खा जाते है। इन लीची में एक प्रकार का कीड़ा होता है जो शरीर में चीनी की मात्रा कम कर देता है। नतीजतन मौतें हो रही है। उन्होंने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे खुद भी वहां कैंप कर रहे है। हर हाल में बच्चों की मौत और बीमारी पर काबू पा लिया जाएगा।
केंद्रीय राज्यमंत्री चौबे ने बताया कि देवघर में एम्स की पढ़ाई के दाखिल इसी साल अगस्त से ले पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। फिलहाल इसकी कक्षा पंचायत भवन में होगी। इसका भवन 236 एकड़ जमीन पर बन रहा है। पढ़ाई शुरू होते ही टेली मेडिसीन का भी इंतजाम किया गया है। जिसे बहरहाल पटना एम्स से जोड़ा जाएगा। पटना एम्स के निदेशक डा. रामजी सिंह निर्माणाधीन देवघर एम्स के नोडल अधिकारी बनाए गए है।
