Anil Deshmukh Jail Offer: महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता अनिल देशमुख ने जेल से बाहर आने के बाद पहली बार बड़ा और हैरतअंगेज राजनीतिक बयान दिया है। देशमुख ने रविवार (12 फरवरी) को दावा किया कि जेल में रहने के दौरान उन्हें बड़ा ऑफर मिला था, अगर वह उसे कबूल कर लेते तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार काफी पहले गिर जाती। इसलिए उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा दिया।
अनिल देशमुख ने क्या-क्या कहा
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख धनशोधन मामले (Money Laundering Case) में करीब 14 महीने जेल में थे। फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर हैं। उन्हें नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था। वहीं, 28 दिसंबर, 2022 को वह जेल से रिहा किए गए थे। जेल से बाहर आने के बाद पहली बार अपने गृह नगर नागपुर पहुंचे अनिल देशमुख ने दावा किया, “मुझे जेल में प्रस्ताव (Offer) मिला था, जिसे मैंने ठुकरा दिया। अगर मैं समझौता कर लेता ( पेशकश कबूल कर लेता) तो महाविकास आघाड़ी के नेतृत्व वाली सरकार ढाई साल पहले ही गिर गई होती, लेकिन मैं न्याय में विश्वास करता हूं, इसलिए मैंने जेल से रिहा होने का इंतजार किया।”
झूठे मामले में फंसाने की साजिश, मैंने हार नहीं मानी- देशमुख
वर्धा के सेवाग्राम में नदियों और जंगलों के संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली ग्राम सभाओं और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के सामूहिक वन अधिकारों के राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनिल देशमुख ने दावा किया कि उन्हें राजनीतिक कारणों से झूठे मामले में फंसाने की साजिश की गई थी। उन्होंने कहा कि शिवसेना के 40 विधायकों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ सरकार बना ली। उन सबको प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कार्रवाई की धमकी दी थी। मुझे भी संगीन आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया। इसके बावजूद मैंने कभी हार नहीं मानी।
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सबूत पेश नहीं कर पा रही जांच एजेंसियां- देशमुख का दावा
अनिल देशमुख ने इससे पहले भी दावा किया था कि उनके खिलाफ सारे मामले झूठे हैं। उन्होंने शनिवार को कहा था कि 100 करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया, लेकिन चार्जशीट में यह रकम महज 1.71 करोड़ दर्ज है। इस रकम के बारे में जांच एजेंसियां सबूत नहीं पेश कर पाई। उन्होंने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट को भी सीबीआई और ईडी के मामले में दम नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि आरोप लगाने वाले मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह तो आरोपों की जांच के लिए गठित चांदीवाल आयोग के सामने पेश ही नहीं हुए।
शिवसेना में बगावत से गिरी थी महाविकास आघाड़ी सरकार
दरअसल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अगुवाई में बनी महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार (MVA Government) जून, 2022 में गिर गई थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के करीब 40 विधायकों ने बगावत कर नया गुट बना लिया था। इस गुट ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया था। इसके बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद महा विकास आघाड़ी गठबंधन में टूट के कयास लगाए जा रहे हैं।