उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा। कैराना में सपा, बसपा समर्थित रालोद प्रत्याशी तबस्सुम तो नूरपुर में सपा प्रत्याशी की जीत हुई। कैराना में जीत के बाद रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह के बेटे और पार्टी के महासचिव जयंत चौधरी ने चुनाव की जीत को लेकर पार्टी की रणनीति का खुलासा किया।

जयंत चौधरी ने कहा कि अखिलेश यादव से उनका पुराना बहुत पुराना रिश्ता हमेशा से अच्छा रहा। उन्होंने बड़ा दिल दिखाया।हम दोनों ने दस से 15 मिनट की मीटिंग में ही तय कर लिया कि कैसे चुनाव में बीजेपी को हराया जाए। मीटिंग में हमने तय कर लिया था कि कैसे गठबंधन प्रभावी बनेगा, कौन उम्मीदवार मजबूत साबित होगा और कैसे चुनाव लड़ा जाएगा। महज 15 मिनट में ही चुनाव की थीम भी तय कर ली गई।

जयंत चौधरी ने कहा चुनाव के दौरान हिंदू मुस्लिम दोनों लोग साथ बैठे, हिंदू-मुस्लिम दोनों को हमने गले लगाया। यह चुनाव मील का पत्थर साबित होगा। जमीन पर हम सबने काम किया। छोटा चुनाव था, ज्यादा समय नहीं मिला। पार्टी ने किसानों पर चुनाव का थीम बनाया। नौजवानों ने गाना भी बनाया। गन्ना हावी रहा, जिन्ना हार गए।समाजवादी पार्टी, बसपा का काडर, कई दलों ने समर्थन दिया।

इस जीत का श्रेय देने के सवाल पर जयंत ने कहा कि जनता सब कुछ तय करती है। जिन्होंने वोट नहीं भी किया, उनका भी विश्वास जीतना चाहूंगा। गन्ना सिर्फ चुनाव तक नहीं था, गन्ने के बकाए के लिए भी विपक्ष एकजुट था। अखिलेश ने बड़ा दिल दिखाया। दलित आंदोलित है,

जयंत ने कहा कि कैराना और नूरपुर में गन्ना किसानों का साढ़े आठ सौ करोड़ रुपये का बकाया बड़ा चुनावी मुद्दा रहा।स्थानीय लोगों को लगा कि संकट में फंसे लोकदल को ताकत देनी चाहिए। दिन-रात एक करके सभी लोगों ने मेहनत की।बीजेपी ने नकारात्मक चुनाव प्रचार किया। स्टार की तरह आकर बीजेपी के नेता भाषण देकर चले जाते थे। गांव-गांव जाकर हम डोर टू डोर कैंपेन कर रहे थे। यह सब देखकर जनता ने हमें सपोर्ट किया।