गुजरात में खेती में हो रहे नुकसान से निपटने के लिए किसानों के एक वर्ग ने एक नया विकल्प ढूंढ निकाला है। अपने उत्पादन का वाजिद दाम हासिल करने और खेती उनके लिए नुकसान का सौदा ना साबित हो इसके लिए भावनगर के 20 किसानों के एक ग्रुप ने सब्जी, फल, अनाज और शर्बत जैसे सामान बेचने के लिए अपनी खुद की दुकान शुरू कर रहे हैं। दुकान ‘किसानों के लिए, किसानों के द्वारा किसानों की’ की टैगलाइन के साथ शनिवार को आम जनता के लिए खुल गई है।
दुकान खोलने वाली मैनेजिंग कमेटी के भारत जमबूचा ने बताया, ‘भारत में कृषि मुख्य व्यवसाय होने के बावजूद, किसानों को उनकी उपज की दरों को तय करने में मदद नहीं मिलती है। लोग तेजी से शहरीकरण की तरफ बढ़ते हुए अन्य व्यवसायों की तरफ जाने लगे हैं। देश में रोजाना कोई ना किसान आत्महत्या कर रहा है।’ जमबूचा ने आगे बताया, ‘पिछले कुछ सालों से हम कमीशन एजेंटों की चैन तोड़ने और ग्राहकों तक सीधे पहुंचने की दिशा में काम कर रहे थे। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि लोगों को अच्छी गुणवत्ता और केमिकल फ्री और शुद्ध कृषि की पैदावार मिले। हमारी यही कोशिश अब एक दुकान का आकार ले रही है।
जमबूचा के मुताबिक 50 किसानों का एक समूह जैविक खेती कर रहा है। वे भावनगर में ग्राहकों को अपनी उपज जैसे सब्जियां, फल, अनाज आदि बेच रहे थे, जहां वो अपना खुद का बिजनेस कर सकते थे। इसपर हमने भावनगर में अपने बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान चलाया, ताकि लोग कृषि उत्पादों की अपनी जरूरतों के लिए हमारे पास पहुंचें। अब हमारे पास 40 से 50 नियमित ग्राहक हैं, जो सप्ताह में कम से कम दो बार हमसे सब्जियां और अन्य सामान खरीदते हैं। इसलिए लोगों का विश्वास हासिल करने बाद हमने दुकान में निवेश किया।
बता दें कि किसानों ने एक कमेटी भी बनाई है जो रोजाना दुकानों को चलाने को लेकर निर्णय लेगी। किसानों का यह ग्रुप तय करेगा कि कृषि की उपज को औसत की कीमत में बेचा जाए।