पश्चिम बंगाल के बीरभूम मामले में टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल समेत 14 लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। बीरभूम के मंगलकोट में 2010 में हुई हिंसा के एक मामले में एमपी/एमलए कोर्ट ने सुबूतों के अभाव में 14 लोगों को बरी किया है। इस मामले में बिधाननगर की एमपी/एमलए कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि आरोपी हिंसा स्थल पर मौजूद थे। बरी होने के बाद मंडल ने दावा किया कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया था।

मंडल टीएमसी के बीरभूम जिला अध्यक्ष हैं। एक दिन पहले उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि इस संकट की घड़ी में वह ‘दीदी’ (ममता बनर्जी) को अपने पक्ष में पाकर खुश हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “मैं निराश नहीं हूं। यह मेरे लिए काफी है कि हमारी नेता, हमारी आदरणीय दीदी, मेरे साथ हैं।” उन्होंने कहा था कि कोई हमेशा के लिए जेल में नहीं रहता है, किसी विचाराधीन कैदी को कभी ना कभी रिहा करना होता है।

वहीं, कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि मंगलकोट मामले में अनुब्रत मंडल का बरी होना 2021 के चुनाव में विफल होने के बाद सत्ताधारी पार्टी को बदनाम करने के विपक्ष के मनसूबों को साबित करता है। उन्होंने कहा कि पार्टी को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और विश्वास है कि जिन मामलों में पार्टी को बदनाम करने के लिए पार्टी नेताओं को आरोपी बनाया गया है, उन मामलों में भी सच्चाई की जीत होगी।

2010 का है मामला

यह मामला साल 2010 का है। बीरभूम जिले के मंगलकोट में टीएमसी समर्थकों और तत्कालीन सत्तारूढ़ माकपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी। इसमें कई कार्यकर्ता जख्मी हुए थे और सीपीआईएम के समर्थक के हाथ में बम फट गया था। इस हिंसात्मक झड़प की रिपोर्ट थाने में लिखवाई गई थी और इसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

मवेशी तस्करी मामले में न्यायिक हिरासत में हैं मंडल

अनुब्रत मंडल को मवेशी तस्करी मामले में सीबीआई ने 11 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह न्यायिक हिरासत में हैं।