गोरखपुर चिड़ियाघर की सबसे उम्रदराज बाघिन ‘मैलानी’ इन दिनों गंभीर स्थिति से गुजर रही है। बर्ड फ्लू के संक्रमण के बाद उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। 14 वर्ष से अधिक उम्र की यह बाघिन अब धीरे-धीरे अपनी आंखों की रोशनी भी खो रही है। उसकी हालत को देखते हुए उसे मुख्य बाड़े से हटाकर चिड़ियाघर के पशु अस्पताल परिसर में स्थित क्रॉल में रखा गया है, जहां डॉक्टरों की एक टीम लगातार उसका इलाज कर रही है।
चिड़ियाघर प्रशासन के अनुसार, मैलानी अब ठीक से देख नहीं पाती। आंखों में संक्रमण के कारण उसकी दृष्टि लगभग धुंधली हो चुकी है। इसके साथ ही उसकी भूख भी पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। हालत यह है कि उसे सामान्य मात्रा में भी मांस या खुराक देना चुनौती बन गया है। पशु चिकित्सकों के अनुसार, मैलानी की उम्र अब ढलान पर है और पहले से ही वह कई बीमारियों से जूझ रही थी।
डॉक्टरों के मुताबिक हालत चिंताजनक
अमर उजाला की खबर के अनुसार चिड़ियाघर के निदेशक विकास यादव का कहना है कि बर्ड फ्लू से संक्रमित अन्य वन्यजीवों की स्थिति में कुछ सुधार देखा जा रहा है, लेकिन मैलानी पहले से ही कमजोर थी और उसकी उम्र अधिक होने के कारण रिकवरी की उम्मीद बहुत कम है। उन्होंने बताया कि जब मैलानी को यहां लाया गया था, तभी से उसकी आंखों में देखने की समस्या थी। डॉक्टरों की देखरेख में उसके इलाज की पूरी व्यवस्था की जा रही है, लेकिन स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए शासन की ओर से जांच के लिए एक विशेषज्ञ टीम भी गोरखपुर भेजी गई थी। इसमें वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के डॉ. पराग निगम, आईवीआरआई बरेली के डॉ. एम. करिकलन और उत्तराखंड के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. पीके मलिक शामिल थे। इस टीम ने दो दिन तक चिड़ियाघर में रहकर निरीक्षण किया और वन्यजीवों की जांच की।
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जांच के दौरान टीम ने चिड़ियाघर प्रशासन से सवाल किए कि अगर बर्ड फ्लू का संक्रमण और फैला तो वन्यजीवों को कैसे बचाया जाएगा? क्या उन्हें दूसरे स्थानों पर शिफ्ट करने की योजना है? टीम इस बात से संतुष्ट नहीं दिखी कि संक्रमण फैलने की स्थिति में क्या आपातकालीन व्यवस्था तैयार है।
वहीं, चिड़ियाघर में बढ़ते संक्रमण के चलते गर्मी की छुट्टियों में बच्चों और पर्यटकों को निराशा हाथ लगी है। प्रशासन ने 27 मई तक चिड़ियाघर को बंद कर दिया है, और संभावना है कि अगले दो हफ्ते तक यह बंद रह सकता है। इसका मतलब है कि छुट्टियों में बच्चे बाघ-शेर जैसे वन्यजीव नहीं देख पाएंगे।
फिलहाल बाघिन मैलानी की हालत को लेकर पशु चिकित्सक सतर्क हैं, लेकिन उनकी आंखों और भूख में लगातार गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र और संक्रमण का ये संयुक्त असर उसकी जिंदगी को मुश्किल में डाल रहा है।
