तीन नाबालिग छात्रों-चैतन्य गोलेच्छा, मृगांक गुज्जर और उत्सव जैन को अपने स्टार्ट अप इन्फ्यूजन बेवरेजेज के लिए 3 करोड़ की फंडिंग मिली है। यह सभी छात्र जयपुर के हैं और दसवीं कक्षा में पढ़ते हैं। टाइम्स अॉफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इन तीनों छात्रों ने पिछले साल अप्रैल में अपने स्कूल में हुए आंत्रप्रेन्योर फेस्ट में हिस्सा लिया था, जिससे उनकी तकदीर बदल गई। नीरजा मोदी स्कूल के इन छात्रों ने एक साल से भी कम समय में आइडिया, इन्वेस्टर्स खोजना और अपने प्रॉडक्ट को हकीकत बनते देखा है। गोलेच्चा कहते हैं कि हमारे प्रॉडक्ट की प्रेजेंटेशन फेस्ट में जजों को लुभाने में नाकामयाब रही थी। हम पहले ही राउंड में बाहर हो गए थे। उन्होंने कहा, हालांकि हम पहले ही घंटे में बाहर हो गए थे, लेकिन हमें 150 फ्लेवर्ड पानी की बोतलें डिलीवर करने का अॉर्डर मिला। तीनों से मौके को हाथोंहाथ लिया और 150 बोतलें डिलीवर कर दीं। उस दिन के बाद इन छात्रों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

वहीं गुज्जर कहते हैं कि इस स्टार्ट अप की मुख्य थीम यही थी कि बिना की प्रिजर्वेटिव के फ्लेवर्ड पानी बनाना। हमने गूगल पर गहन रिसर्च की और बिना चीनी और सोडे के एक बेहतर ड्रिंक बनाई। लेकिन जल्द ही हमें अहसास हो गया था कि जब तक आप नाबालिग हैं, तब तक इस आइडिया को हकीकत में तब्दील करना आसान नहीं है। लाइसेंस, खाद्य विभाग से जरूरी अनुमतियां और एफएसएएसएआई से अप्रूवल लेना एक मुश्किल काम है। गुज्जर ने कहा कि हम नाबालिग थे, इसलिए हमारे माता-पिता ने यह इजाजत ली।

अपने आइडिया को और बेहतर करने के मकसद से उन्होंने आईआईटी कानपुर, आईआईएम इंदौर के आंत्रप्रेन्योर कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया, जिसमें उन्हें खासी प्रशंसा मिली। लेकिन बड़ी कामयाबी तब मिली जब मालवीय नैशनल इंस्टिट्यूट अॉफ टेक्नॉलजी को यह आइडिया पसंद आया। उन्होंने छात्रों को इसका पेटेंट के लिए अप्लाई करने में मदद की, जो शुरुआती चरण है। जनवरी तक छात्रों ने फ्लेवर्ड पानी की 8 हजार बोतलें बेच दीं। इसी महीने में इंदौर से एक इन्वेस्टर्स ने उन्हें मीटिंग के लिए बुलाया और वह तीन करोड़ का फंड देने के लिए राजी हो गया। जैन ने बताया कि हमारे ऊपर मार्केटिंग और रिसर्च की जिम्मेदारी है। हमारा प्लांट इंदौर में बनाया जाएगा।