Teachers Day 2018: गुजरात में एक ऐसा गांव है जहां के लोग शिक्षक पेशे के दीवाने हैं। इस गांव में जन्म लेने वाला बच्चा बड़ा होकर शिक्षक बनने के बारे में सोचता है। हर घर में कोई न कोई शिक्षक है। यहां तक कि लड़के-लड़कियों की शादी के लिए पहले पहल किसी शिक्षक की ही तलाश की जाती है। इस अनूठे गांव का नाम हडियोल है जो साबरकांठा जिले में है।
6000 आबादी में 1000 शिक्षक: हडियोल गांव की आबादी 6000 है और इनमें से करीब 1000 लोग शिक्षक हैं। 790 अभी गुजरात के स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जबकि बाकी रिटायर होकर गांव में जीवन बिता रहे हैं। इस गांव के शिक्षक पूरे गुजरात में फैले हुए हैं। बताया जाता है कि गुजरात में शायद ही कोई ऐसा जिला होगा जहां हडियोल का शिक्षक नहीं होगा।
कैसे बना हडियोल ‘शिक्षकों का गांव’: शिक्षकों के गांव के नाम से चर्चित हडियोल में ऐसा क्या हुआ जिसने इसको गुजरात में खास पहचान दिला दी? इस बारे में साबरकांठा प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रमुख संजय पटेल ने दैनिक भास्कर को बताया कि इस गांव के खास पहचान की नींव 1955 में रखी गई थी। उस समय गांव में तीन शिक्षक थे। दंपति गोविंदभाई रावल और सुमती बहन की जोड़ी ने विश्व मंगल संस्था बनाकर लोगों में शिक्षा का अलख जगाया और सबको इसके महत्व के बारे में बताना शुरू किया। उनकी ये मुहिम रंग लाती गई और लोग शिक्षक बनते चले गए। इसका प्रभाव आसपास के गांवों पर भी पड़ा।