चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष की पूर्व संध्या पर निकाली गई जुलूस पर शरारती तत्वों ने झड़प और पत्थरबाजी कर नाथनगर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। सड़क पर खड़ी एक बाइक में आग लगा दी। सूचना पाकर भागलपुर के ज़िलाधीश आदेश तितमारे और एसएसपी मनोज कुमार फौरन पुलिस के साथ मौके पर पहुंच दोनों समुदायों के लोगों को बुलाकर शांति समिति के जरिए समझाकर माहौल काबू में किया। दंगा निरोधक दस्ता समेत पुलिस की टुकड़ी तैनात की गई है।

आईजी व डीआईजी भी मौके का मुआयना करने पहुंचे है। एसएसपी ने हालात को काबू में बताया है। मगर तनावपूर्ण है। सड़क पर दोनों ओर से की गई पत्थरबाजी को नगर निगम सफाई करने में लगा है। उपद्रवियों के पथराव में दो पुलिस कर्मियों समेत आधा दर्जन लोगों को चोटें आई है। बताते हैं कि जुलूस में कुछ लोग भड़काऊ नारे लगा रहे थे।

बता दें कि भागलपुर में दंगे की खबर इस वजह से भी सुर्खियों में है क्योंकि इससे पहले यहां हुए सन् 1989 के दंगे में एक हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं। अक्‍टूबर, 1989 के अंत में भागलपुर व आसपास के इलाकों में रामशिला पूजन पर विवाद को लेकर दंगे हुए थे। वह इतना भीषण दंगा कि गांव के गांव वीराने में बदल गए। दंगों के गवाह कहते हैं कि यह इतना सुनियोजित था कि खेतों में लाशें गाड़ दी गई थीं। इसके बाद उस पर फूलगोभी बो दी गई। दंगों के समय द्विवेदी भागलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे। इन दंगों में 1,000 से ज्‍यादा लोग मारे गए। राज्‍य द्वारा जांच के लिए गठित एक आयोग ने एसपी (द्विवेदी) को लेकर प्रतिकूल टिप्‍पणियां की थीं। द्विवेदी को बाद में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में क्‍लीन चिट मिल गई थी।

फोटो- भागलपुर दंगों के पीड़‍ित। (Photos: Express Archive)