रमजान के दौरान विभिन्न राजनैतिक पार्टियों द्वारा इफ्तार पार्टी देने की एक परंपरा सी रही है। लेकिन हैदराबाद में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तेलंगाना सरकार की वार्षिक इफ्तार पार्टी के प्रति नाराजगी दिखाई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन इफ्तार पार्टियों में ‘जनता के पैसे का गलत इस्तेमाल’ किया जा रहा है। बीते साल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर हैदराबाद हाईकोर्ट का भी रुख किया था। हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कहा गया था कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का पैसा, जो कि गरीब जनता की भलाई में खर्च होना चाहिए, उसे इलीट क्लास के लिए शाही इफ्तार पार्टियां आयोजित करने में इस्तेमाल किया जा रहा है।
सोशलिस्ट पार्टी की महासचिव डॉ. लुबना ने भी इन इफ्तार पार्टियों पर नाराजगी जतायी है। द न्यूज माइन्यूट की एक खबर के अऩुसार, आगामी 8 जून को तेलंगाना सरकार हैदराबाद में भव्य इफ्तार पार्टी का आयोजन करने जा रही है। बताया जा रहा है कि हैदराबाद के फतेह मैदान पर इस पार्टी का आयोजन किया जाएगा। इस इफ्तार पार्टी में करीब 7000 मेहमानों के आने की उम्मीद है, जिसमें से 1000 मेहमान वीआईपी होंगे। गौरतलब है कि इस इफ्तार पार्टी में खाने के साथ ही राज्य के करीब 12 लाख लोगों को कपड़े भी बांटे जाएंगे। इनके अलावा ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के अंतर्गत आने वाली 400 मस्जिद और जिले में आने वाली अन्य 400 मस्जिदें भी उसी दिन इफ्तार पार्टी का आयोजन करेंगी। इस आयोजन के लिए तेलंगाना सरकार ने 15 करोड़ रुपए जारी किए हैं।
इन इफ्तार पार्टियों पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि इफ्तार, मुस्लिमों का निजी मामला है, लेकिन सरकार इसका राजनैतिकरण कर रही है। यदि सरकार सचमुच अल्पसंख्यकों की चिंता करती है तो सभी बीपीएल कार्डधारकों को जन वितरण प्रणाली के तहत ड्राइ फ्रूट्स वितरित कर सकती है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह बेहद शर्म की बात है कि 60 करोड़ रुपए अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर सिर्फ ‘खाने’ के लिए जारी कर दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि बीते साल हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि इफ्तार पार्टियों के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पैसों का इस्तेमाल ना किया जाए। सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं की मांग है कि इफ्तार पार्टी को बंद किया जाए और इसके लिए वह दोबारा हाईकोर्ट का रुख करने का विचार कर रहे हैं।