तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शनिवार (6 अगस्त, 2022) को कहा कि वह नीति आयोग की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। केसीआर ने कहा कि राज्यों के प्रति केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण रुख के खिलाफ वह 7 अगस्त को होने वाली नीति आयोग की गर्वनिंग काउंसिल की 7वीं बैठक का बहिष्कार करेंगे।
प्रधानमंत्री को लिखे खत में केसीआर ने लिखा-‘भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में तभी विकसित हो सकता है, जब राज्य विकसित हों। मजबूत और आर्थिक रूप से जीवंत राज्य ही भारत को एक मजबूत देश बना सकते हैं। इन तथ्यों को देखते हुए, मुझे 7 अगस्त, 2022 को होने वाली नीति आयोग की सातवीं बैठक में हिस्सा लेना उपयोगी नहीं लगता। मैं भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के हमारे सामूहिक प्रयास में राज्यों के साथ भेदभाव करने और उन्हें समान भागीदार के रूप में नहीं मानने के केंद्र सरकार के वर्तमान रुख के खिलाफ इस बैठक से दूर रहूंगा।’
संघीय ढांचे को नष्ट कर रही केंद्र की भाजपा सरकार: KCR
केसीआर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर भारत के संघीय ढांचे को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर रही है। यहां तक कि कुछ राज्यों के खिलाफ घोर भेदभाव भी। केंद्र पर अपने वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए राव ने आश्चर्य जताया कि नीति आयोग ने पिछले आठ वर्षों में क्या हासिल किया है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि एनडीए सरकार को नीति आयोग की चिंता नहीं है और बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। राव ने कहा कि जब नीति आयोग ने विकास के मुद्दों पर सिफारिशें देने के लिए मुख्यमंत्रियों के एक समूह का गठन किया तो उन्हें खुशी हुई। हालांकि, यह अल्पकालिक था, क्योंकि संस्थान उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया।
राव ने तेलंगाना के मिशन काकतीय के लिए 5,000 करोड़ रुपये के सिंचाई अनुदान और राज्य के हर घर में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मिशन भगीरथ के लिए 19,205 करोड़ रुपये की सहायता के लिए सिफारिशों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “केंद्र ने एक पैसा भी नहीं दिया, लेकिन तेलंगाना की उपलब्धियों का श्रेय लेते हुए बयान जारी कर यह दावा किया कि जल जीवन मिशन की केंद्रीय योजना के तहत तेलंगाना पीने का पानी उपलब्ध कराने में सक्षम है।”
राव ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में जहां राज्य ने 1,90,000 करोड़ रुपये खर्च किए। वहीं केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए प्राप्त राशि सिर्फ 5,000 करोड़ रुपये थी।