कच्चे मांस और हरी पत्तेदार सब्जियां खाने वाले लोगों को खाना बनाते वक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। हाल ही में न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन की मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक फरीदाबाद में रहने वाले एक 18 वर्षीय टीनएजर की टेपवर्म से संक्रमित कबाब खाने से मौत हो गई। यह संक्रमण उसके पूरे शरीर में फैल गया जिसके चलते उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट के मुताबिक जब पीड़ित शख्स का एमआरआई और सीटी स्कैन किया गया था उसके शरीर में 1000 टेपवर्म सिस्ट पाए गए थे। इस बीमारी को आम भाषा में सिस्टरकोसिस कहा जाता है।

यूं फैलता है यह संक्रमणः सिस्टरकोसिस के ऊपर आर्टिकल लिखने वाले डॉ निशांत और एस जफर अब्बास के मुताबिक ये टेपवर्म हमारे शरीर में कई तरीकों से प्रवेश कर सकते हैं। ये टेपवर्म एग्स सुअर के मल से बाहर निकलते हैं जो यदि पानी के संपर्क में आ जाएं तो उसे दूषित कर देते हैं। इसके बाद जब इस दूषित पानी का इस्तेमाल खाना बनाने में किया जाता है तो खाना भी संक्रमित हो जाता है। जिसके चलते यह संक्रमण हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। आर्टिकल के मुताबिक टेपवर्म सबसे ज्यादा पत्तेदार सब्जियों , रॉ फिश , सुअर के कच्चे मांस में पाए जाते है, इसलिए इन कच्ची चीजों को अच्छी तरह धुलकर खाना चाहिए। ये टेपवर्म एक बार शरीर में प्रवेश कर जाएं तो सबसे पहले आंतो को नुकसान पहुंचाते हैं और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलकर नुकसान पहुंचाते हैं।

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ये हैं बीमारी के लक्षणः श्री गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ प्रवीण गुप्ता ने बताया कि इस बीमारी के होने से लोगों को मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। मेडिकल रिसर्च के मुताबिक सिस्टरकोसिस बीमारी के पता लगाने का सबसे आम कारण यही है।

सिस्टरकोसिस पर आर्टिकल लिखने वाले डॉ निशांत से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बीमारी के इलाज का कोर्स 15 दिन से लेकर एक महीने तक का होता है। उन्होंने बताया कि लगभग 80 प्रतिशत मामलों में शुरुआती जांच में सिस्टरकोसिस बीमारी का पता लगा पाना मुश्किल होता है।