तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डीएमके प्रमुख एम करुणनिधि के बड़े बेटे एमके अलागिरी वोट नहीं डालेंगे। उनका कहना है कि इन चुनावों को लेकर उनका कोई ओपिनियन नहीं है। अलागिरी पार्टी में अपनी अनदेखी से नाराज हैं। उनके छोटे भाई स्‍टालिन का रूतबा ज्‍यादा है और उन्‍हें ही करुणानिधि का उत्‍तराधिकारी माना जा रहा है। हालांकि इस बार भी डीएमके की ओर से सीएम पद के लिए करुणानिधि की दावेदार हैं। वे 13वीं बार इस पद की दौड़ में हैं। मंगलवार को उन्‍होंने कहा,-यदि उसे(स्‍टालिन) को मौका चाहिए तो प्रकृति को मेरा कुछ करना पड़ेगा।’

इन चुनावों में स्‍टालिन और करुणानिधि ने ही डीएमके के प्रचार की कमान संभाल रखी है। स्‍टालिन से बातचीत के सवाल पर अलागिरी ने कहा, ‘तीन साल… ढाई साल तो कम से कम हो चुके हैं।’ उन्‍होंने बताया कि कनिमोझी से भी उन्‍होंने तीन साल से बात नहीं की। मदुरई में डीएमके की संभावनाओं पर उन्‍होंने कहा, ‘उन्‍हें नहीं पता मुझसे कैसे काम कराया जाए। मैं इस तरह की राजनीति में विश्‍वास नहीं करता। उन्‍हें यहां(मदुरर्इ) में एक भी सीट नहीं मिलेगी।’

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अलागिरी के चुनावों से दूर होने के कारण उनके समर्थक भी परेशानी में हैं। उनके एक साथी ने बताया,’हम खुलेआम उनका समर्थन नहीं कर सकते। कौन जाने किसी दिन उनकी परिवार से सुलह हो जाए और हमें ही पार्टी से बाहर फेंक दिया जाए।’ एक करीबी दोस्‍त ने कहा, ‘जब अलागिरी सत्‍ता में थे तो उन्‍होंने इसका दुरुपयोग किया। जब वह सांसद और मंत्री थे तब मुश्किल से संसद गए होंगे। लेकिन वह दयालु हैं और गरीबों की मदद करते हैं। रोज 100 लोग उनसे मिलने घर आते हैं।’

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