देश में बीते दिनों रोजगार के आंकड़े और बेरोजगारी के मुद्दे एक रिपोर्ट लीक होने से पर हंगामा बरपा। आनन फानन में सरकार को भी सफाई देनी पड़ी। लेकिन कुछ दिनों पर सामने आई रिपोर्ट की एक तस्वीर अब तमिलनाडु से सामने आई है। जहां बेरोजगारी से छुटकारा पाने के लिए स्वीपर की पोस्ट पर ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट आवेदकों की बाढ़ आ गई। इसमें प्रोफेशनल कोर्स करने वाले लोग भी शामिल हैं।
तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय में बीते दिनों स्वीपर के 14 पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए थे। इस 14 पदों के लिए 3900 आवेदन आए हैं। इसमें 50 से ज्यादा पोस्ट ग्रैजुएट, जबकि 350 आवेदक ग्रैजुएशन के हैं। जबकि इसमें से चार पदों पर कोई खास योग्याता नहीं मांगी गई थी। लेकिन जब इन पद पर आवेदकों की सूची देखी गई तो उनमें से तीन ऐसे आवेदक थे, जिन्होंने एम फिल कर रखा था। जबकि 20 अन्य आवेदकों में एमबीए, एमई और एमटेक वालों ने आवेदन कर रखा है। वहीं, स्नातक वालों में 66 आवेदकों ने इंजीनियरिंग कर रखी है। जबकि 200 आवेदक आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स के हैं।
डीएनए से बात करते हुए शिक्षाविद और अन्ना यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर एम आनंदकृष्णन ने कहा कि, स्वीपर पदों पर इतनी बड़ी संख्या में स्नातकों और परास्नातकों द्वारा आवेदन किया जाना दर्शाता है कि रोजगार के मौके न के बराबर ही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि, इसमें इस बात की भी आशंका है कि जिन आवेदकों ने स्वीपर पद पर आवेदन किया है, उनकी कॉलेज स्तर की पढ़ाई ही खराब रही हो। अगर उनकी शिक्षा की गुणवत्ता अच्छी रही होती, तो अब तक वह नौकरी पा चुके होते।
वहीं, इस बारे में तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय के एक अधिकारी ने बताया कि, स्वीपर के पदों पर आए पढ़े लिखों के आवेदन से सभी चौंक गए। अधिकारी ने कहा, इन आवेदकों में ऐसे भी हैं, जिन्हें केवल सरकारी नौकरी का ही लालच है। उन्होंने बताया कि, इस पद पर चुने गए लोगों को 17 हजार रुपए ही सैलरी मिलेगी।