द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेता एम. के. स्टालिन ने अपने दिवंगत पिता और पार्टी नेता एम. करुणानिधि की याद में बुधवार (08 अगस्त) को एक भावुक पत्र लिखा। पत्र में स्टालिन ने कहा, “आपको अप्पा, अप्पा कहकर बुलाने की बजाए मैंने कई बार आपको थलाइवरय, थलाइवरय (मेरे नेता) कहकर बुलाया है। थलाइवरय क्या मैं आपको एक बार अप्पा कहकर पुकार सकता हूं।” स्टालिन ने लिखा है, “तीस साल पहले, आपने कहा था कि आपकी कब्र पर ये शब्द अंकित होने चाहिए.. वह व्यक्ति जिसने आराम किए बिना काम किया था, यहां आराम कर रहा है। क्या आप तमिल समुदाय के लिए कड़ी मेहनत करने की संतुष्टि के साथ विदा हुए हैं।” बता दें कि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे 94 वर्षीय करुणानिधि का मंगलवार (07 अगस्त) को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

Karunanidhi Funeral LIVE UPDATE

करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था और 94 साल की उम्र तक यानी करीब 80 साल तक उन्होंने जनसेवा की। द्रविड़ समाज सुधारक पेरियार का उन पर खासा प्रभाव था। उनसे ही प्रभावित होकर करुणानिधि ने युवाओं की एक टोली बनाई थी जिसका नाम तमिल स्टूडेन्ट्स फेडरेशन था। करुणानिधि तमिल भाषा के पक्षधर थे। इसके प्रचार-प्रसार के लिए वो हाथ से लिखी आठ पन्नों की पत्रिका ‘मनवर नेसां’ निकाला करते थे और 50 लोगों तक नि:शुल्क पहुंचाया करते थे। करुणानिधि की यह कोशिश 1949 में डीएमके पार्टी की स्थापना में काफी सहायक सिद्ध हुई थी। करुणानिधि हिन्दी विरोध की राजनीति में शुरू से ही सक्रिय रहे। उन्होंने ब्राह्मणवाद का भी विरोध किया।

तमिलनाडु में 1967 में पहली गैर कांग्रेसी सरकार में वो लोक निर्माण मंत्री बने थे। सी एन अन्नादुरई की मौत के बाद उन्होंने राज्य की बागडोर संभाली थी। वे 1969 में तमिलनाडु के सीएम बने थे। 1975 में इमरजेंसी का विरोध करने वाले वो अकेले मुख्यमंत्री थे। इससे गुस्साई पीएम इंदिरा गांधी ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया था और उनकी पार्टी डीएमके के लगभग सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था। करुणानिधि एक कुशल स्क्रिप्ट राइटर भी थे। उन्होंने राजनीति से लेकर समाज और फिल्म जगत की स्क्रिप्ट राइटिंग की। सामाजिक न्याय और जमीन से जुड़े नेताओं में करुणानिधि का नाम सदैव लिया जाता रहेगा।