विभिन्न हलकों से केंद्र की मसौदा शिक्षा नीति के विरोध के बीच तमिलनाडु सरकार ने मंगलवार राज्य विधानसभा में कहा कि वह संस्कृत या हिंदी को थोपने की अनुमति नहीं देगी और आश्वस्त किया कि अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की जाएगी।
उच्च शिक्षा मंत्री केपी अनबालागन ने कहा कि केंद्र ने मसौदा नीति भेजी थी और राज्य सरकार शीघ्र इसका जवाब देगी। द्रमुक के थंगम थेन्नारसू के हस्तक्षेप के बाद अनबालागन ने कहा कि राज्य सरकार इस बात को सुनिश्चित करेगी कि उसकी भाषाई और सांस्कृतिक पहचान कायम रहे। उन्होंंने कहा, ‘हम संस्कृत या हिंदी थोपे जाने का कोई मौका नहीं देंगे।
अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की जाएगी।’ विपक्ष के नेता एमके स्टालिन ने मंत्री के आश्वासन का स्वागत किया। वह चाहते थे कि सरकार सदन में इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश करे।
पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री थेन्नारासू ने इस बात की आशंका जताई कि मसौदा एनईपी में भारतीय शिक्षा सेवा (आइईएस) जैसे प्रस्ताव स्थानीय कारकों के संदर्भ में शुभ नहीं होंगे और दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए दो हिस्से में परीक्षाओं के प्रस्ताव का विरोध भी किया।

