जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद (DDC) के चुनाव में 276 सीटों पर परिणाम जारी किए गए थे जिनमें से 110 पर गुपकार गठबंधन ने कब्जा जमाया वहीं बीजेपी ने कुल 75 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें से 72 जम्मू क्षेत्र में और तीन सीटें कश्मीर में हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों ने 50 सीटों पर जीत हासिल की है। अब बीजेपी औऱ गुपकार दोनों के नेता दावा कर रहे हैं कि यह उनकी जीत है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र की जीत हुई है वहीं गुपकार के नेता महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला ने भी अपनी जीत का दावा किया। इस मामले में कश्मीर मामलों के जानकार सुशील पंडित का कहना है कि गुपकार ने कश्मीर में अपनी जमीन खोई है।

आजतक के डिबेट शो में जब उनसे सवाल पूछा गया कि आखिरी जीता कौन है तो पंडित ने कहा, ‘दोनों ही पक्षों ने अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में जमीन खोई है। गुपकार गठबंधन की जितनी भी पार्टियां थीं, कश्मीर घाटी में इन्हीं का प्रभाव माना जाता था। अगर ये मिलकर चुनाव लड़ते तो किसी को वहां पर घुसने की हिम्मत नहीं होनी चाहिए थी। किसी में लड़ने का दमखम नहीं होना चाहिए था और ये 140 में से 100 भी नहीं जीत पाए।’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा जम्मू के वर्चस्व की पार्टी है। पिछले कई चुनावों में लगातार ये पूरे राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 में एक तिहाई वोट लिए थे। इस बार जम्मू में लगभग आधी ही सीटें जीत पाई। 20 जिलों में से जम्मू के 10 जिले हैं उनमें से पांच पर भी नियंत्रण कर ले तो बहुत है।’

इसकी वजह बताते हुए सुशील पंडित ने कहा, ‘अभी रविशंकर प्रसाद ने कहा, कश्मीर के आवाम की जय, बाद में ठीक किया और कहा जम्मू-कश्मीर के परिवार की जय। ये जो कश्मीर की तरफ खिंचाव है, हैसियत इन्हें जम्मू देता है लेकिन ये केवल कश्मीर के लिए बिछे चले जाते हैं। जम्मू इस बात से हैरान है कि हम अपना प्रतिनिधि किसे चुनते हैं औऱ ये किसके लिये काम करता है।’

बीजेपी का कहना था कि सबसे ज्यादा वोट उसे मिले हैं। इसपर सुशील पंडित ने कहा, एक विसंगति है, जम्मू क्षेत्र में जनसंख्या अधिक है लेकिन सीटें कम हैं। इसी वजह से सत्ता का झुकाव कश्मीर घाटी की तरफ है। ज्यादा वोट पाकर भी भाजपा आगे नहीं बढ़ पाती है।