कार्य प्रदर्शन में सुधार के लिए बेहतर काम करने वालों को पारितोषिक पर जोर देते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि सरकारी कर्मचारियों में प्रतिभा की कमी नहीं है और वे निजी क्षेत्र में काम करने वालों जितने ही अच्छे हैं। प्रभु यहां सरकारी अधिकारियों के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक ऐसी प्रणाली विकसित किए जाने की जरूरत है जहां लोग अपनी समुचित क्षमता से कार्य प्रदर्शन कर सकें।
उन्होंने कहा- मुझे नहीं लगता कि बाहर से या निजी क्षेत्र से लोग लेने से हमारी सारी समस्याएं सुलझ जाएंगी। मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास प्रतिभाओं की कोई कमी है। मुझे लगता है कि यह बड़ी से बड़ी चुनौतियों के बावजूद काम करने की लोगों की प्रतिबद्धता का मामला है। यहां 10 वें सिविल सेवा दिवस के उद्घाटन अवसर पर उन्होंने कहा कि समाधान निजी या सार्वजनिक क्षेत्र नहीं है। समाधान तो अच्छे लोगों का संगठन तैयार करना व व्यवस्था के साथ काम करना है। व्यवस्था बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए हमें व्यवस्था पर समग्र रूप से विचार करने की जरूरत है ताकि लोगों में अच्छी तरह काम करने की क्षमता हो।
प्रभु ने कहा कि अच्छा काम करने वालों की पहचान करते हुए उन्हें उचित पारितोषिक दिए जाने की जरूरत है। देश में उपलब्ध श्रेष्ठ प्रतिभाओं को आप व्यवस्था में कैसे लाएं? यही है जिसके बारे में हमें सोचने की जरूरत है। आप अच्छा काम करने वाले को पारितोषिक कैसे देंगे। आज अच्छा काम करने वाले को पारितोषण जैसा कुछ नहीं है। आपको ऐसी व्यवस्था पर विचार करना होगा जिसमें अच्छे काम करने वाले को उचित पहचान मिले। उन्हें उचित पारितोषण मिले। उन्हें उचित पदोन्नति मिले और जो अच्छा काम नहीं कर रहे हैं उन्हें बाहर नहीं फेंका जाए बल्कि उन्हें काम लायक बनाना ही चुनौती है।
इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार के मंत्रालयों व राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं। प्रभु ने कहा कि सरकार के लोग भी उतने ही अच्छे या बेहतर हैं जितने कि सरकार के बाहर काम करने वाले। उन्होंने कहा कि चुनौती तो यह है कि इतने बड़े मानव संसाधन का इस्तेमाल कैसे हो और बढ़ती चुनौतियों में इसका समुचित दोहन कैसे किया जाए। हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिसमें हमारी सेवाएं (डिलीवरी) कम से कम नागरिकों की अपेक्षाओं के अनुरूप तो हो हीं।