उच्चतम न्यायालय ने राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के बेटे पंकज भुजबल के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में नए महाराष्ट्र सदन के निर्माण के सिलसिले में धन शोधन से जुड़े मामले में जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने से बुधवार (18 मई) को मना कर दिया। शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से बच रहे पंकज से कहा कि वह पहले बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष कानूनी प्रक्रिया का रास्ता अपनाएं। न्यायमूर्ति ए एम सप्रे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाश पीठ ने कहा, ‘आप बंबई उच्च न्यायालय नहीं गए और सीधा उच्चतम न्यायालय पहुंच गए। पहले उच्च न्यायालय को मामले का परीक्षण करने दें। पहले उच्च न्यायालय को कारण बताने दें तब हम देखेंगे।’

पंकज की ओर से उपस्थित वकील ने कहा कि मामले में सह-आरोपियों में से एक को शीर्ष अदालत ने पहले ही राहत दे दी है और समानता के आधार पर गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी जानी चाहिए। पीठ ने कहा, ‘क्या समानता का आधार। अगर एक आरोपी को अदालत ने राहत दे दी है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप भी उच्चतम न्यायालय आ जाएं। हमने फाइलें और आरोप देखे हैं। जिस आरोपी को राहत दी गई थी वह पहले बंबई उच्च न्यायालय गया था। अगर वह उच्च न्यायालय जा सकता है तो आप उच्च न्यायालय क्यों नहीं जा सकते।’

शीर्ष अदालत ने इससे पहले कृष्णा चमनकार के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी थी। वह मामले में 52 आरोपियों में से एक है। विशेष पीएमएलए अदालत ने पंकज और अन्य के खिलाफ 27 अप्रैल को गैर जमानती वारंट जारी किया था। तब से वह गिरफ्तारी से बच रहे हैं।