सुंदरवन में पानी में बढ़ते खारेपन के कारण अगले कुछ दशकों में बड़ी संख्या में मैनग्रोव वनस्पतियों के खत्म होने की आशंका है। इससे इंसानों और जानवरों के बीच टकराव बढ़ सकता है। वन के पूर्व प्रधान मुख्य संरक्षक अतनु राहा की ‘सुंदरवन बाघ अभयारण्य के मैनग्रोव वनस्पतियों पर समुद्र स्तर में वृद्धि का प्रभाव’ पर रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ता खारापन और सुंदरी जैसे मैनग्रोव प्रजातियों के नष्ट होने का रॉयल बंगाल टाइगर और इसके भोजन के मुख्य स्रोत हिरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में 15 साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। राहा ने कहा- सर्वेक्षण में जो सबसे अहम बात निकलकर आई, उसके अनुसार सुंदरवन बाघ अभयारण्य के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में मैनग्रोव वनस्पतियों में तेजी से कमी आना और इसके पश्चिमी क्षेत्र में मैनग्रोव के घनत्व में तेजी से आ रही कमी है। उन्होंने कहा- अध्ययन में यह बात निकलकर आई कि 2050 तक अधिकांश घने मैनग्रोव वन में कमी आएगी।
राहा ने साथ ही कहा कि इस सर्वेक्षण में इस बात की संभावना भी जताई गई है कि इससे इंसानों और वन्य जीवों व बाघों के बीच संघर्ष बढ़ेगा। इससे बंगाल टाइगर की संख्या के लिए भी चिंता की स्थिति पैदा हो सकती है।