आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर को तीन दिन पहले स्टिंग आॅपरेशन में रुपए-पैसों का पैकेट पकड़ते देखने के बाद पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने दिल्ली में शुक्रवार को एक बैठक कर उन्हें संयोजक पद से हटाए जाने के आदेश दे दिए, जबकि उन पर आरोपों की जांच के लिए समिति बनाई गई है। उन्हें अभी पार्टी से नहीं निकाला गया है। उन पर लगे आरोपों की जांच का जिम्मा दो सदस्यीय समिति को दिया गया जो जल्द ही अपनी जांच रिपोर्ट देगी। यदि छोटेपुर खुद को बेकसूर साबित कर पाए तो उन्हें एक मौका और दिया जाएगा। अभी पार्टी ने नया संयोजक नहीं बनाया है।
पार्टी सांसद भगवंत मान ने जनसत्ता को बताया कि यह फैसला विशेष रूप से बुलाई बैठक में तब लिया गया, जब पार्टी नेताओं को करीब 10 ऐसी ईमेल आर्इं कि छोटेपुर ने रकम के बदले उन्हें टिकट का वादा किया है। मान का कहना है कि छोटेपुर के खिलाफ न्यूजीलैंड और आॅस्ट्रेलिया से भी शिकायतें आर्इं, जिनमें टिकट के नाम पर पैसे लेने का आरोप है। मान का कहना है, ‘आॅस्ट्रेलिया बाकी के एक एनआरआइ भी जीरा से पार्टी टिकट के इच्छुक थे। उन्होंने अपनी ईमेल में लिखा कि छोटेपुर ने उनसे इसके लिए 60 लाख रुपए मांगे। बाद में सौदा 30 लाख रुपए में तय हुआ। इसमें से चार लाख रुपए उन्होंने बतौर पेशगी दी गई। लेकिन जब बाद में पता चला कि आप टिकट देने के बदले कोई रकम नहीं लेती तो उन्होंने फिर छोटेपुर को संपर्क किया तो उन्होंने तीन लाख रुपए लौटा दिए।’
जांच समिति को मामले की गहन जांच के लिए बोला गया है, जिसमें छोटेपुर का पक्ष भी सही ढंग से सुनने को कहा गया है। इस पर छोटेपुर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए। हालांकि उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में शुक्रवार को कहा कि यह स्टिंग उनकी बेदाग छवि खराब करने की सोची-समझी साजिश है। उन्होंने रकम सिर्फ पार्टी चलाने के लिए ही ली थी। इस बीच प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने बताया कि नया संयोजक नियुक्त करने बारे फैसला अभी होना है जबकि छोटेपुर ने खुद के बेकसूर बताया और कहा कि उन्होंने पार्टी फंड में से एक भी पैसा अपने परिवार पर कभी खर्च नहीं किया।
दरअसल, सुच्चा सिंह छोटेपुर को आप से अभी नहीं निकाले जाने में वरिष्ठ पार्टी नेता कंवर संधू की बड़ी भूमिका रही और उन्होंने ही पार्टी को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने पर राजी किया। यहां तक कि संधू के अलावा एचएस फूलका और सुखपाल सिंह खेरा ने भी शुक्रवार को छोटेपुर से मुलाकात कर उन्हें तब तक मीडिया में न जाने को कहा जब तक जांच समिति की रिपोर्ट नहीं आ जाती। यहां तक कि उन्होंने उन्हें प्रेस वार्ता न करने की भी सलाह दी, पर वह राजी नहीं हुए क्योंकि वह सच सामने लाकर अपने खिलाफ रची गई गहरी साजिश को जगजाहिर करना चाहते हैं।