जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बुधवार को निकाली गई श्रीराम मंदिर संकल्प रथ यात्रा के बाद विद्यार्थियों ने परिसर में सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। विद्यार्थियों का कहना है कि जब हम बिना पहचान पत्र दिखाए परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं तो ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों का विश्वविद्यालय में आना और नारेबाजी करना कैसे संभव हो पाया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अलग-अलग लोगों के लिए विश्वविद्यालय के नियम अलग हैं? विद्यार्थियों का कहना है कि किसी को बिना जांच के परिसर में प्रवेश नहीं मिलता और किसी को बिना अधिकारिक अनुमति के ही प्रवेश दे दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान (एसआइएस) से पीएचडी कर रहे रवि ने बताया कि मैं किसी धार्मिक यात्रा का परिसर में आना गलत नहीं मानता हूं क्योंकि सभी की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं और इस परिसर में सभी धर्मों से जुड़े विद्यार्थी पढ़ते हैं। लेकिन ट्रक और मोटरसाइकिल लेकर 25-30 लोग भला किस की इजाजत से परिसर के अंदर आ जाते हैं। यह सुरक्षा में बड़ी चूक है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस बारे में कोई कार्रवाई न किया जाना बड़ी बात है।
जेएनयू से एमफिल कर रहीं साक्षी ने बताया कि मैं बोलने की आजादी की पक्षधर हूं और सभी धर्मों को पूरा सम्मान देती हूं लेकिन जैसा बुधवार को हुआ वह बिलकुल गलत था। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक मुद्दा बिलकुल नहीं है। यह तो सुरक्षा का मामला है। उन्होंने बताया कि कई बार जब कोई विद्यार्थी अपना पहचान पत्र घर भूल आता है तो उसे परिसर में प्रवेश करने में बहुत परेशानी होती है। सुरक्षाकर्मी उससे तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। वहीं, दूसरी ओर एक यात्रा को अंदर जाने की अनुमति कैसे मिली यह मेरी समझ से परे है। साक्षी के मुताबिक एक शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश के अपने कायदे होते हैं जिसका बुधवार को बिल्कुल भी पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अब इस घटना के बाद से यहां सुरक्षा को और कड़ा किया जाएगा जिसका खमियाजा विद्यार्थियों को ही उठाना पड़ेगा।
छात्र संघ अध्यक्ष ने कुलपति को अपशब्द कहा, थमाया नोटिस
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष एन सार्इं बालाजी को चीफ प्रॉक्टर दफ्तर की ओर से 5 नवंबर 2011 को सम्मेलन केंद्र के बाहर प्रदर्शन करने और उस दौरान कुलपति को अपशब्द कहने के मामले में नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि बालाजी को 13 दिसंबर को शाम 3:30 बजे प्रॉक्टर दफ्तर में पहुंचकर इस आरोप पर अपना जवाब देना है। बालाजी का कहना है कि मुझे जेएनयू कुलपति का पर्दाफाश करने की वजह से यह नोटिस मिला है। यह मुझे प्रताड़ित करने की साजिश है।

