डेंगू व चिकनगुनिया को लेकर सरकारी दावे चाहे जो हों लेकिन डेंगू चिकनगुनिया, मलेरिया, टाइफाइड व सामान्य वायरल बुखार से भी पीड़ित मरीजों का अस्पतालों में बुरा हाल है। मरीजों में बुखार को लेकर दहशत कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है। यहां तक कि सामान्य बुुखार होने पर भी मरीज भाग कर अस्पताल में भर्ती होने पहुंच रहे हैं। डिस्पेंसरी से लेकर निजी अस्पतालों तक में मरीजों की लाइन लगी है। किसी भी तरह से मरीज घर जाने को तैयार नहीं हैं, बल्कि एक -एक बिस्तर पर दो से तीन मरीज इलाज करा रहे हैं। डाक्टर उन्हें विभिन्न तरह के जांच कराने से मना कर रहे हैं बावजूद लोगों की दहशत का आलम ये है कि लोग पांच दिनों तक रोजाना प्लेटलेट जांच बाहर से करा रहे हैं।
वायरल में एंटीबायोटिक खाना ठीक नहीं बुखार से पीड़ित दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र तन्मय ने बताया कि उनको पांच दिन तक तेज बुखार हुआ। बुखार तेज था तो डर गए थे। डाक्टर ने एंटीबायोटिक दे दिया। इसके बाद उल्टियां शुरू हो गई। इस तरह दस दिन हो गए, जांच कराया तो पता चला कि पीलिया भी। अब पीलिया का इलाज करा रहे हैं। लेकिन एम्स के डाक्टर का कहना है कि वायरल बुखार में एंटीबायोटिक देने की जरुरत नहीं होती। किसी वजह से लंबे समय तक अगर मरीज को वह दी जाती है तो उसके चलते लीवर पर असर आ सकता है। आइएमए के महासचिव डॉ केके अग्रवाल भी वायरल बुखार में एंटीबायोटिक नहीं देने के पक्ष में हैं।
खुद ही जांच करा रहे लोग
जीटीबी अस्पताल में रोजाना करीब 300 विभिन्न बुखार से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। यहां भी विस्तरों का बुरा हाल है। मरीज राशिद ने बताया कि डॉक्टरों की सलाह है कि पांच दिन तक कोई जांच कराने की जरूरत नहीं कोई भी बदलाव डेंगू के बुखार में पांच दिन बाद ही देखने में आता है। लेकिन हम मरीज डर के मारे पहले से ही प्लेटलेट्स की जांच कराकर पहुंच रहे हैं। डाक्टर केवल पैरासीटोमोल व ओआरएस घोल दे रहे हैं।
घबराहट में घर नहीं जा रहे लोग
राम मनोहर लोहिया अस्पताल मेंआने वाले मरीजों में ज्यादातर मरीज डेंगू व चिकनगुनिया के हैं। शुक्रवार को यहां के इमरजेंसी वार्ड मे भर्ती मरीज रजनी (बदला नाम) ने बताया कि तेज बुखार और जोडों मे दर्द था, सांस दिक्कत थी, घबराकर में अस्पताल आए तो डाक्टर ने कोई जांच के बिना दवा देकर घर जाने को कहा। लेकिन रात विरात कोई दिक्कत बढ़ जाए तो हम कैसे और कहां जाएंगे? बारिश का कोई भरोसा नहीं, इसलिए हमने अस्पताल में रुकने का फैसला किया है पर मजबूरी में यहां एक बिस्तर में दो-दो मरीजों क ो लिटाया जा रहा है। लेकिन इस अस्पताल में रजनी जैसे मरीजों की तादात करीब सवा सौ है।
मरीजों से भरे अस्पताल
मंडावली के तालाब चौक स्थित दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक में यों तो 80 मरीज रोज देखे जाने का प्रावधान है लेकिन यहां रोजाना करीब ढाई सौ से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। यहां छोटे से हिस्से में बने क्लीनिक में मरीजों को खड़े होने तक की जगह नही हैं। बाहर पानी भरा है। मरीजों को गैर जरूरी ढंग से भर्ती करने वाले निजी अस्पताल भी इतना भर गए हैं कि नए मरीज भर्ती करने की जगह नहीं है, लिहाजा वे मरीजों को घर पर रह कर बुखार का इलाज कराने की सलाह दे रहे हैं। मैक्स पटपड़गंज में बिस्तर पाने के लिए सिफारिश लेकर आए एक मरीज के रिश्तेदार रवि ने बताया कि पैसे देकर भी बिस्तर नहीं मिल पा रहे हैं।
स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।