Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) में हो रही टार्गेट किलिंग (Target Killing) पर उपराज्यपाल (J&K LG) मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने कहा कि इसे धर्म के आधार पर देखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सच्चाई है कि घाटी में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की लक्षित हत्याएं हुई हैं, लेकिन अन्य धर्म के लोग भी मारे गए हैं इसलिए इसे धर्म के आधार पर नहीं देखना चाहिए।

कहा, झूठी कहानी फैलाई गई

उन्होंने शुक्रवार को आइडिया एक्सचेंज में कहा, “मैं कहना चाहता हूं कि कश्मीर घाटी के लोग भी मारे गए हैं। सेब के मौसम में बिहार, ओडिशा, झारखंड से भी मजदूर आते हैं… दो-तीन घटनाएं हुईं, लेकिन एक (झूठी) कहानी फैलाई गई।”

कश्मीरी दूसरे राज्यों से आने वालों की सराहना करते हैं

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। कोई भी किसी राज्य में जाकर काम कर सकता है। कुछ लोग दूसरे राज्यों से यहां मजदूरी के लिए आते हैं और कश्मीर के लोग इसकी सराहना करते हैं और मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर के विकास में उनकी (मजदूर) भूमिका है। हालांकि, कुछ लोग हैं, जो इन्हें बाहर का मानते हैं, लेकिन हमें उसमें नहीं जाना चाहिए। हम उनका (प्रवासियों का) ख्याल भी रखते हैं… उनके बीमा के लिए जोर देते हैं। सेब के मौसम के दौरान, उनकी सुरक्षा, वित्तीय और सामाजिक के संबंध में हमें दिशा-निर्देश भी मिले थे।”

कश्मीरी पंडितों पर एलजी ने कहा, “केंद्र सरकार ने पुनर्वास नीति की घोषणा की थी। इसके पहले चरण में 3,000 नौकरियां और 3,000 घर शामिल थे। दूसरे चरण में भी वही। कुल 6,000 घर बनाए जाने थे, लेकिन लगभग 700 घर ही पूरे हुए। (जब मैं वहां अगस्त 2020 में पहुंचा),दूसरे चरण के प्रस्तावित पदों को नहीं भरा गया और पहले चरण की भी कुछ रिक्तियां बाकी थीं। इन रिक्तियों को स्वेच्छा से कुछ तकनीकी दिक्कतों का हवाला देकर खाली रखा गया था। आज मैं कह सकता हूं कि 134 पदों को छोड़कर सभी पद भरे जा चुके हैं।” सिन्हा ने 7 अगस्त, 2020 को उपराज्यपाल के रूप में शपथ ली थी।