बुरहान मुजफ्फर वानी की मौत के बाद जहां कश्मीर के लोग दुख जताते हुए हिंसा फैला रहे हैं वहीं बुरहान के पिता को उसकी मौत पर बिल्कुल भी हैरानी नहीं हुई। उनके मुताबिक यह तो होना ही था। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान मुजफ्फर वानी ने कहा, ‘मैं बुरहान की बॉडी का इंतजार कर रहा था। एक मिलिटेंट 7 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रहता। बुरहान उनमें से 6 साल जी चुका था।’
मुजफ्फर वानी जो कश्मीर के ही एक स्कूल में टीचर हैं उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अपने बेटा की ना भी चिंता हुई और ना ही उसकी मौत का गम, उनके मुताबिक वह शहीद है। पिता ने कहा, ‘ये लड़के उन लोगों के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए हैं जो उनपर अत्याचार करते हैं। हमारे खुदा ने हमसे कहा है कि वे मरे नहीं है। इसलिए हम उन्हें शहीद कहते हैं।’
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मुजफ्फर ने बताया कि बुरहान ने 2010 में घर छोड़ दिया था। तब से ही पुलिस बुरहान की तलाश में उनके घर पर नजर रखने लगी थी। उन्होंने बताया कि वह कभी परेशान नहीं होते थे। उन्होंने कहा, ‘वह 2,190 दिन से बाहर था, 5 हजार के करीब बार उसने खाना खाया होगा। उसे वह दो वक्त का खाना कहां से मिलता था? अगर वह बीमार पड़ता होगा तो उसका ख्याल कौन रखता होगा? यानी कोई तो था जो उसका ख्याल रख रहा था। इसका मतलब है उसके साथ काफी लोग मौजूद हैं।’
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अपने बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल 20 हजार से ज्यादा लोगों पर मुजफ्फर ने कहा, ‘जब एक मिलिटेंट मरता है तो 50 किलोमीटर दूर से भी लोग उसको श्रद्धांजलि देने आते हैं। क्यों ? क्योंकि वे लोग जानते हैं कि जिसने जान गंवाई है वह सही रास्ते पर है। हम लोग अत्याचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। किसी शराबी या ठग के जनाजे में 4 लोगों को भी जोड़कर दिखाओ। ‘