उत्तराखंड के जंगलों में इस बार आग लगने की घटनाएं साल के मुकाबले ज्यादा बढ़ सकती हैं। क्योंकि इस बार शीतकाल में उत्तराखंड में पिछले कई सालों के मुकाबले 50 से 60 फीसद कम बारिश और बर्फबारी हुई है और मौसम अत्यधिक शुष्क रहा है। इस कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं अत्यधिक बढ़ने की संभावनाएं वन विशेषज्ञ जता रहे हैं।
उत्तराखंड में इस बार आग की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग वन पंचायत को और अधिक सक्रिय करने में लगा हुआ है। उत्तराखंड में 11 हजार से ज्यादा वन पंचायतें काम कर रही है। इसके अलावा प्रशासन द्वारा महिला और युवक मंगल दलों को भी सक्रिय किया जा रहा है।उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वन पंचायतों और मंगल दलों के कार्यकर्ताओं को वनों में आग बुझाने और वनों में आग की रोकथाम के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
साथ ही वन कर्मियों को आग बुझाने जाने के आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में बढ़ोतरी होना जहां जंगल में पैदा होने वाली वनस्पतियों के लिए नुकसानदायक है। वहीं, जंगल में रह रहे जंगली जानवरों और खासकर सूक्ष्मजीवों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। जंगल में आग लगने से कई दुर्लभ वनस्पतियां पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं और कई दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्मजीव विलुप्त हो जाते हैं जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए बेहद जरूरी है।
केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार एक नवंबर 2023 से एक जनवरी 2024 के बीच उत्तराखंड के जंगलों में 1006 आग लगने की घटनाएं घटी हैं, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुनी है। जबकि पिछले सालों में इसी अवधि के दौरान 556 आग लगने की घटनाएं उत्तराखंड के जंगलों में घटी थी।
वैसे तो आग लगने की घटनाएं गर्मी के मौसम के दौरान अधिक देखने को मिलती हैं, लेकिन इस साल सर्दियों के दौरान घटनाएं बढ़ गई हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार इस बार सर्दियों के मौसम के समय उत्तराखंड के देहरादून उत्तरकाशी, पौड़ी ,नैनीताल, बागेश्वर, टिहरी, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा समेत सभी जिलों में जंगल की आग लगने की जानकारी मिली है।