समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और सुभासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के बीच चल रहे टकराव पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान दिया है। उन्होंने नाम लिए बगैर ओपी राजभर पर हमला करते हुए कहा कि बंदरों की तरह इधर से उधर कूदते रहने से नेतृत्व की अहमियत कम हो जाती है और दूसर दल भी उन्हें गंभीरत से नहीं लेते। बसपा के साथ सुभासपा के गठबंधन की अटकलों पर भी मौर्य ने टिप्पणी की और कहा कि बसपा पहले ही नो एंट्री का फरमान जारी कर चुकी है।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, “जिस तरह बंदरों के जैसे एक डाल से कूदकर दूसरी डाल पर जाने के क्रम की नेताओं में प्रवृत्ति बनती जा रही है, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि ये ना वैचारिक टकराव है और ना ही स्वार्थ का टकराव है। सुभासपा को अपेक्षित सीटें ही दी गई थी, जितनी उन्होंने मांगी थी। बीजेपी की तुलना में यहां सुभासपा की उपलब्धि ज्यादा रही और पहले की तुलना में सीटें भी ज्यादा मिलीं।”

उन्होंने आगे कहा, “इसके साथ ही जिन दलितों और पिछड़ों की बात सुभासपा करती है, उनकी बात समाजवादी पार्टी भी करती है। तब भी गठबंधन तोड़ने की नौबत आई तो इसका मतलब है कि या तो बहुत ज्यादा महत्वकांक्षा है या फिर कहीं ना कहीं उनका उल्लू सीधा होता नजर आ रहा है। इसका जवाब तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही ज्यादा बेहतर दे सकते हैं।”

उन्होंने कहा कि रोज उछल-कूद करने से नेतृत्व की अहमियत घटती है और अन्य राजनीतिक दल भी उन्हें गंभीरता से लेना बंद कर देते हैं। यही कारण है कि जहां जाने की बात वो कर रहे थे उसने पहले ही नो एंट्री का फरमान जारी कर दिया। ऐसे हालात में जानबूझकर अपनी साख को दांव पर लगाना किसी भी नेता के लिए बहुत बुद्धिमानी की बात नहीं है।

बहुजन समाजवादी पार्टी के साथ सुभासपा के गठबंधन की अटकलों पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब बसपा ने पहले ही नो एंट्री का फरमान जारी कर दिया तो आप समझिए कि पार्टी के दरवाजे उनके लिए खुलने वाले नहीं हैं।