साउथ एशियाई यूनिवर्सिटी (SAU) ने अपने सहयोगी प्रोफेसर स्नेहाशीष भट्टाचार्य की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। प्रशासन का आरोप है कि उन्होंने छात्रों को विश्वविद्यालय के हितों के खिलाफ “उकसाया”। यह फैसला लगभग दो साल तक चले विवाद और जांच के बाद लिया गया।

भट्टाचार्य को पहली बार 16 जून 2023 को निलंबित किया गया था। वे उन चार शिक्षकों में शामिल थे जिन पर 2022-23 में छात्रवृत्ति (स्टाइपेंड) घटाए जाने के खिलाफ छात्रों के आंदोलन का समर्थन करने का आरोप लगा था। इनमें से दो शिक्षकों ने खेद प्रकट करते हुए प्रशासन से माफी मांगी थी, जिसके बाद उनका निलंबन हटा लिया गया। एक संविदा शिक्षक का अनुबंध समाप्त हो गया। लेकिन भट्टाचार्य ने माफीनामा देने से इनकार किया, जिसके चलते उन पर कार्रवाई जारी रही।

द इंंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मामला साल 2022 का है, जब मास्टर्स कोर्स के छात्रों की छात्रवृत्ति ₹5,000 से घटाकर ₹3,000 कर दी गई थी। छात्रों ने इसका विरोध किया और ₹7,000 की मांग की। बाद में इसे दोबारा ₹5,000 कर दिया गया, लेकिन विरोध प्रदर्शन थमा नहीं।

अक्टूबर 2022 में पुलिस को कैंपस बुलाए जाने पर भट्टाचार्य समेत कई शिक्षकों ने प्रशासन को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि यह कदम विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाएगा। इसके अलावा छात्रों के निष्कासन और निलंबन को भी उन्होंने “मनमाना” बताया।

विश्वविद्यालय ने स्नेहाशीष भट्टाचार्य पर 52 आरोप लगाए

विश्वविद्यालय की अनुशासन समिति ने भट्टाचार्य पर 52 आरोप लगाए। समिति का मानना था कि उनके ईमेल और बयानों से छात्रों को उकसाने की कोशिश हुई। रिपोर्ट में लिखा गया कि पूरे शिक्षण और छात्र समुदाय को सामूहिक ईमेल भेजना “उकसावे का सबूत” है। दूसरी ओर, भट्टाचार्य ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने केवल एक जिम्मेदार संकाय सदस्य के नाते अपनी चिंताओं को रखा।

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