राजस्थान के छोटे से शहर सोजात के रहने वाले तेजाराम संखला चाहें तो आज बिना कोई काम किए आराम की जिंदगी गुजर-बसर कर सकते हैं लेकिन उन्होंने घर पर आराम करने की बजाय दिहाड़ी मजदूरी करने का फैसला किया है। दरअसल, उनका बैटा रामचंद्र सिएटल में गूगल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन गया है और मोटी सैलरी पाता है। बावजूद इसके पिता तेजाराम संखला ने घर बैठना उचित नहीं समझा और पहले की तरह ट्रकों पर सामान लोडिंग का काम करते रहने का फैसला किया। इसके एवज में तेजाराम रोजाना 100 से 400 रुपये कमाते हैं। हालांकि, उनके बेटे ने उनसे कहा कि वो अब काम छोड़कर घर पर आराम करें।
जयपुर से 262 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम शहर सोजात के इस पिता-पुत्र का कहानी वाकई प्रेरणादायक है। 26 साल के रामचंद्र ने हिन्दी माध्यम के स्कूल से पढ़ाई की है। रामचंद्र ने अंग्रेजी सिनेमा के सब टाइटल्स को देखते हुए अंग्रेजी सीखी। जब उसने 12वीं बोर्ड में 70 फीसदी अंक हासिल किए तब उसके पिता तेजाराम ने कर्ज लेकर रामचंद्र को आईआईटी-जेईई की कोचिंग करने के लिए कोटा भेज दिया। अब वह मेहनत और लगन की बदौलत गूगल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
गूगल में काम शुरू करते ही रामचंद्र ने सबसे पहले उस लोन को चुकता किया। फिर उसने अपने घर की मरम्मत करवाई और अपने पुश्तैनी गांव में खेती की जमीन खरीदी। वह आज की तारीख में जो चाहे कर सकता है लेकिन वह अपने पिता का रोजगार नहीं बदल सका। आखिर दोनों कठिन परिश्रम में भरोसा रखते हैं।
रामचंद्र की मां रामी देवी (49) ने भी बेटे को नौकरी मिलने तक निर्माण स्थलों पर मजदूरी की। अब वह घर पर रहती हैं। वह कहती हैं कि राम बचपन से ही पढ़ने में अच्छा था। हम जानते थे कि वह एक दिन परिवार की किस्मत बदल देगा। तेजाराम को घर चलाने के लिए अब काम करने की जरूरत नहीं है। मगर, वह कहते हैं कि मैंने पूरी जिंदगी काम किया है और अब घर पर नहीं बैठ सकता। अगर मैं काम नहीं करूं, तो मुझे अच्छा नहीं लगता है।

