सरकार ने दिल्ली और अन्य राज्यों में 1984 के सिख विरोधी दंगों की नई जांच कराने के लिए गुरुवार को विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एसआइटी गठित करने का आदेश गुरुवार शाम केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी किया। यह टीम छह माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।
तीन सदस्यीय एसआइटी में महानिरीक्षक रैंक के दो आइपीएस अधिकारी व एक न्यायिक अधिकारी होगा। हालांकि सरकार ने अभी तक उनके नामों की घोषणा नहीं की है।
एसआइटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जीपी माथुर की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश के बाद किया गया। इस समिति का गठन 1984 के दंगा मामलों की फिर से जांच की संभावना पर गौर करने के लिए किया गया था। इस समिति ने पिछले महीने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को हुई हत्या के बाद हुए दंगों की नए सिरे से जांच कराने की सिफारिश की गई थी।
इन दंगों में 3325 लोग मारे गए थे। दिल्ली में 2733 लोग मारे गए और शेष लोगों की जानें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व दूसरे राज्यों में गई थीं। भाजपा पूर्व में सभी सिख विरोधी दंगों की फिर से जांच कराए जाने की मांग कर चुकी है। न्यायमूर्ति नानावती आयोग ने पुलिस के बंद किए गए 241 मामलों में से केवल चार को फिर से खोलने की सिफारिश की थी। लेकिन भाजपा चाहती है कि सभी अन्य 237 मामलों की फिर से जांच कराई जाए। बहरहाल, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया गया है कि न्यायमूर्ति माथुर समिति ने कितने सिख विरोधी दंगों को फिर से खोलने की सिफारिश की है।