अंजू अग्निहोत्री चाबा

इन दिनों आमतौर पर गेहूं की खरीद के लिए पीक सीजन होता है। मंडियों में किसानों, मजदूरों, कमीशन एजेंटों, सरकारी एजेंसियों के अधिकारियों और निजी खरीदारों में हलचल रहती है, लेकिन राजस्थान के श्री गंगानगर में “नई” एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) मंडी में मुश्किल से एक दर्जन मजदूर हैं, और सिर्फ तीन किसान हैं। जबकि 27-एकड़ परिसर में बनी इस विशाल मंडी में 2017 में 200 से अधिक दुकानों की स्थापना हुई थी।

यहां के मजदूरों ने शिकायत की कि उनके पास कोई काम है। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि वे जिले के पदमपुर तहसील के जोर्डकिया गांव से आए हैं और गेहूं नहीं, बल्कि सरसों बेचने के लिए यहां पहुंचे हैं।

किसान सोम दत्त बिश्नोई ने इस बार अपनी 11-बीघा जोत में से सात पर गेहूं बोया था। उन्होंने कहा कि, “मैंने अपने गेहूं को पहले ही सरकारी दर (न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी) 2,015 रुपये से ऊपर 2,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच दिया है। एक निजी कंपनी के दलाल (एजेंट) ने इसे सीधे मेरे खेत से उस कीमत पर उठा लिया है।”

इसी तरह, मांगी लाल बिश्नोई ने भी दस में से छह बीघा पर बोए अपना पूरा गेहूं उसी एजेंट को उसी कीमत पर बेच दिया है। तीसरे किसान सुखचैन सिंह का कहना है कि उनकी स्थिति भी इनसे अलग नहीं है।

यह कहानी पंजाब की सीमा से लगे राजस्थान के दो उत्तरी जिलों श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ की अधिकतर एपीएमसी मंडियों में दिख रही है, जो राज्य के प्रमुख गेहूं उत्पादक भी हैं। ये सभी वीरान हो गए हैं, जबकि पहले इन दिनों यहां काफी भीड़भाड़ और हलचल रहती थी। यह असामान्य लग रहा है। यहां कुछ मुट्ठी भर किसान दिखते हैं जो अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में केवल सरसों या चना लादे हुए हैं।

श्री गंगानगर की “पुरानी” एपीएमसी मंडी में, गुरदीप सिंह ने अभी-अभी अपनी सरसों की फसल 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बेची है, जो कि 5,050 रुपये के आधिकारिक एमएसपी से भी अधिक है।

“यहां गेहूं के बजाए सरसों लाने लायक है। गेहूं को मैं सीधे खेत से बेचकर परिवहन, लोडिंग, अनलोडिंग और सफाई शुल्क बचा रहा हूं। व्यापारी मुझे राज-1482 (एक गुणवत्ता वाली गेहूं की किस्म) के लिए 2,700-2,800 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य एचडी-3086 और 2851 किस्मों के लिए 2,250-2,300 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान कर रहे हैं।”

श्री गंगानगर से करीब 25 किलोमीटर दूर जोधेवाला गांव में अपनी 50 बीघा जमीन के आधे हिस्से पर गेहूं लगाने वाले किसान से पूछते हैं- मुझे एमएसपी पर क्यों बेचना चाहिए?