आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से गठजोड़ करना शिवसेना के लिए मजबूरी जैसा बनता जा रहा है। दरअसल, पार्टी की आंतरिक मूल्यांकन की रिपोर्ट के बारे में बातें सामने आ रही हैं, जिनसे कुछ ऐसा ही मालूम होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सितंबर में शिवसेना में आंतरिक मूल्यांकन किया गया, जिसमें यह नतीजा निकला कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसके लिए अकेले दम पर चुनाव लड़ना फायदे का सौदा नहीं होगा। लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक शिवसेना के कुछ सांसदों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर पार्टी के आंतरिक मूल्यांकन की रिपोर्ट पर बात की। उनमें से कुछ ने कहा कि अगर शिवसेना चुनाव अकेली लड़ती है तो वह अपनी 18 सीटें भी बचाने की स्थिति में नहीं होगी और सिमटकर 7-8 सीटों पर रह जाएगी। रिपोर्ट में हालांकि आशंकाएं बीजेपी के अकेले चुनाव लड़ने को लेकर भी जताई गईं हैं। बता दें कि इसी वर्ष जनवरी में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे संकेत दिए थे कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ उसकी पार्टी के दिन पूरे हो चुके हैं और आगे से वह सभी चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी।

आतंरिक मूल्यांकन की रिपोर्ट के मुताबिक सेना नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बता रहे हैं कि अकेले दम पर चुनाव लड़ना शिवसेना और बीजेपी किसी के लिए अच्छा नहीं होगा। कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में शिवसेना के सांसदों की राय है कि बीजेपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन पार्टी के हित में होगा। ज्यादातर सांसदों का मानना है कि कम से कम लोकसभा के चुनाव में शिवसेना को बीजेपी के साथ रहना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों ने उद्धव ठाकरे से कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अंतर होता है, इसलिए 2019 के लिए बीजेपी से गठबंधन रखना ही ठीक होगा। सांसदों का कहना है एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने पर बीजेपी का प्रदर्शन भी प्रभावित होगा।

रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी सांसदों ने अपने जज्बात पार्टी प्रमुख तक पहुंचा दिए हैं। सांसद उम्मीद लगाए हैं कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे उनकी बात मानेंगे और बीजेपी से गठबंधन करेंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना गठबंधन में लड़ी थी, तब उसे 18 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं। बीजेपी ने 24 में से 23 सीटें जीती थीं और शिवसेना ने 20 में 18 सीटें जीती थीं।

साल की शुरुआत में बीजेपी-सेना गठजोड़ में शामिल स्वाभिमानी पक्ष ने गठबंधन से किनारा कर लिया था। स्वाभिमानी पक्ष ने भी 2014 में 1 सीट जीती थी। इस प्रकार राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से 42 एनडीए के खाते में आई थीं। बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार अनुमान जता चुके हैं कि बीजेपी और शिवसेना 2019 में साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती हैं।