संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष शेखर सेन ने कहा कि हमारी पहचान हमारी भाषा है और भाषा ही संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम है। अगर भाषा खत्म हो जाएगी तो हमारी पहचान भी खत्म हो जाएगी। यह बात उन्होंने रवींद्र भवन में संगीत नाटक अकादेमी की ओर से ‘प्रदर्शन कलाओं के माध्यम से हिंदी का प्रचार-प्रसार’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी और ‘राजभाषा रूपाम्बरा’ के सातवें अंक के लोकार्पण के अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय के राजभाषा निदेशक वेदप्रकाश गौड़ ने कहा कि भाषा और कला का अन्योन्याश्रित संबंध है।

राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान दिल्ली के पूर्व कुलसचिव प्रो. विपिन कुमार ठाकुर ने कहा कि कलाकार अपनी अभिव्यक्ति मातृभाषा में ही कर सकता है। इससे पहले अकादेमी की सचिव हेलेन आचार्य ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के मूर्त स्वरूप का ज्ञान हम पत्रिकाओं और पुस्तकों के माध्यम से ही पाते हैं। लेखन भी उतना ही जरूरी है, जितना कलाओं का प्रदर्शन। इस मौके पर विशेष रूप से पधारीं उस्ताद बिस्मिल्ला खां की मानस पुत्री शोमा घोष ने बेगम अख्तर की गाई ठुमरी के कुछ बोल सुनाए। समारोह के दौरान अकादेमी के अध्यक्ष ने अकादेमी की छमाही पत्रिका ‘राजभाषा रूपाम्बरा’ के सातवें अंक का लोकार्पण भी किया।