राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार का विवादों में घिरना कोई नई बात नहीं है। मंगलवार (18 अक्टूबर) को अजित पवार ने एक बार फिर ऐसा बयान दे दिया है जिस पर विवाद हो सकता है। राज्ये के सोलापुर जिले में मंगलवार को हुई एक पार्टी बैठक में पवार ने कहा कि 50-50 लाख रुपये में विधायक पाला बदल लेते थे लेकिन अब कॉर्पोरेटर तक इतने पैसे में दलबदल नहीं करते। पवार ने बैठक में राज्य की विलासराव देशमुख सरकार का वक्त याद दिलाया कि उन्होंने विधायकों की खरीदफरोख्त रोकने के लिए उन्हें बेंगलुरु भेजना पड़ा था। पवार ने कहा, “विधायकों की खरीदफरोख्त और दलबदल के डर से विलासराव देशमुख हतोत्साहित हो गए थे और उस वक्त विधायकों को बेंगलुरु भेजना पड़ा क्योंकि तब 50 लाख रुपये में विधायक पाला बदल लेते थे, लेकिन अाजकल इतने पैसे में एक कॉर्पोरेटर तक दलबदल नहीं करेगा।”
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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वो दलबदलुओं को अपनी पार्टी में न शामिल करें। अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। अजित पवार 2013 में तब विवाद में घिर गए ते जब उन्होंने राज्य के बांधों में पानी की कमी को लेकर 55 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “अगर बांध में पानी नहीं है तो क्या हम उसमें पेशाब करें?” अजित पवार उस समय राज्य के जल संसाधन मंत्री थे।
साल 2014 में अजित पवार तब विवाद में घिर गए थे जब उन्होंने अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के चुनाव क्षेत्र में जाकर कहा था कि अगर वोटोरों ने सुले को वोट नहीं दिया तो वो इलाके में जल आपूर्ति बंद करा देंगे। पवार पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का भी आरोप लगा था क्योंकि मतदान से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद करने का नियम है।
अजित पवार पर महाराष्ट्र के लवासा में अगस्त 2002 में जमीन को लीज़ पर देने के मामले में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगा था। साल 2012 में महाराष्ट्र के एक नौकरशाह ने अजित पवार पर अरबों रुपये के घोटाले के आरोप लगाया था। हालांकि ये आरोप साबित नहीं हो सके। साल 2004 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अजित पवार ने तीन करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी।
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