BJP Leader Shahnawaz Hussain in Crisis: भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन को इन द‍िनों लगातार झटके लग रहे हैं। ताजा झटका द‍िल्‍ली हाईकोर्ट के एक आदेश से लगा है। हाईकोर्ट ने 17 अगस्‍त को द‍िल्‍ली पुल‍िस को लताड़ लगाते हुए कहा है क‍ि वह भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन के ख‍िलाफ बलात्‍कार की एफआईआर दर्ज करे और तीन महीने के अंदर उन पर लगे आरोपों की जांच पूरी करे।

न‍िचली अदालत ने एफआइर्आर दर्ज करने का आदेश द‍िया था। हुसैन ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की जज आशा मेनन ने कहा क‍ि एफआईआर पहले ही दर्ज की जानी चाह‍िए थी। आरोप लगाने वाली मह‍िला जून 2018 में ट्रायल कोर्ट गई थीं। मह‍िला ने आरोप लगाया था क‍ि हुसैन ने उन्‍हें एक फार्महाउस में बुलाया और कोल्‍ड ड्र‍िंक में नशीली चीज म‍िला कर प‍िलाने के बाद बलात्‍कार क‍िया। 

दो दिन पहले ही केंद्रीय चुनाव समिति से पार्टी ने बाहर किया था

इससे पहले 17 अगस्‍त को ही हुसैन को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव सम‍ित‍ि से हटाया गया। इसके कुछ द‍िन पहले नीतीश कुमार के पाला बदल लेने से ब‍िहार सरकार में उनकी मंत्री की कुर्सी चली गई थी। इसके बाद उन्‍होंने ब‍िहार के भागलपुर में अपनी खोई जमीन तलाशने की कवायद तेज कर दी थी।  हुसैन भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में इकलौता मुस्लिम चेहरा थे। यह बात दीगर है क‍ि 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति में होते हुए भी अपने लिए एक टिकट का जुगाड़ नहीं कर पाए थे। पत्रकारों के सामने उन्‍होंने यह दंभ जरूर भरा था कि मैं केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य हूं, मेरा टिकट तो पक्का है। 

2014 लोकसभा चुनाव में भागलपुर से पराजय के बाद ही हुसैन के सितारे गर्दिश में आ गए थे। 2019 के संसदीय चुनाव में भागलपुर सीट एनडीए के सहयोगी दल जदयू के खाते में चली गई। जदयू के टिकट पर अजय मंडल लड़े और जीते। जनवरी 2021 में हुए ब‍िहार विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने हुसैन को उम्मीदवार घोषित कर एक दफा फिर चर्चा में ला दिया। वे जीते और भाजपा कोटे से बिहार के उद्योग मंत्री बनाए गए। वह करीब डेढ़ साल मंत्री रहे और इस दौरान करीब दो दर्जन बार भागलपुर का दौरा किया।

नौ अगस्त, 2022 को जदयू एनडीए से अलग हो गया। नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू ने राजद से मिल ब‍िहार में महागठबंधन की सरकार बना ली। इस दर्द का इजहार शाहनवाज हुसैन ने किया भी। इन्होंने पत्रकारों से कहा कि दिल्ली से हवाई जहाज में सवार हुआ तो मंत्री था और पटना उतरा तो पता चला मंत्री नहीं हूं।

नीतीश कुमार ज‍िस तरह राजद से पाला बदल कर भाजपा के साथ आए थे, ठीक उसी तरह बीजेपी का दामन छोड़ लालू खेमे में चले गए। भाजपा ने महागठबंधन की सरकार बनने के खिलाफ और नीतीश कुमार पर धोखेबाजी का आरोप लगा कर जिलों में धरने का कार्यक्रम चलाया।

शाहनवाज हुसैन ने भी अपने पुराने संसदीय क्षेत्र भागलपुर में धरना द‍िया। अगले दिन वह तिरंगा यात्रा में भी शरीक हुए। एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह शाहनवाज की दूर दृष्टि, पक्के इरादे वाली बात है। 

हुसैन शुरू से ही केंद्र की राजनीति में रहे। भाजपा ने केंद्रीय चुनाव समिति से इन्हें हटाकर इनका कद छोटा किया है। अव्वल तो इन्हें राज्यसभा में न लेकर बिहार विधान परिषद में भेज इनका केंद्रीय राजनीति से पहले ही पर कतर दिया गया था। राजनीतिक हलकों में इसकी भारी चर्चा है। मगर इन्हें भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति से हटा देने के बाद इनके किसी समर्थक या भाजपा नेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है। 

शाहनवाज हुसैन भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते रहे हैं। इनका जन्म 12 दिसंबर 1968 को सुपौल के हुसैन चौक स्‍थ‍ित पैतृक घर में हुआ था। वह दो दफा भागलपुर से सांसद बने। तीसरी दफा पराजित हुए। 1999 में किशनगंज से सांसद बनकर ये अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्रीय उड्डयन मंत्री बनाए गए। 13वीं लोकसभा में वाजपेयी मंत्रिमंडल के ये सबसे कम उम्र के मंत्री थे। अब उन्‍हें राजनीत‍िक मोर्चेे के साथ-साथ कानूनी मोर्चे पर भी लड़ाई लड़नी होगी।