बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। अब उनके एक करीबी ने दावा किया है कि अभिनेता के कहने पर ही फर्जी दस्‍तावेज देकर अलीबाग फार्महाउस के लिए जमीन का सौदा हुआ था। ‘इंडिया टुडे डॉट इन’ की रिपोर्ट में शाहरुख के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट और विश्‍वस्‍त करीबी मोरेश्‍वर अजगांवकर के हवाले से यह सनसनीखेज दावा किया गया है। उन्‍होंने इनकम टैक्‍स (आई-टी) अधिकारियों को यह जानकारी दी है। मोरेश्‍वर ने बताया कि शाहरुख खान के निर्देश पर ही उन्‍होंने अलीबाग प्‍लॉट खरीदने के लिए फर्जी दस्‍तावेज का इस्‍तेमाल किया था। अभिनेता ने कृषि उद्देश्‍य के लिए जमीन खरीदी थी, जिसपर उन्‍होंने लग्‍जरी फार्महाउस बना लिया था। इसमें स्‍वीमिंग पूल के साथ हेलीपैड की भी सुविधा है। शाहरुख पर तटवर्ती इलाकों के संरक्षण से जुड़े कानून का भी उल्‍लंघन करने का आरोप है। यह प्‍लॉट कुल 19,960 स्‍क्‍वायर मीटर में फैला हुआ है। आई-टी अधिकारियों ने अजगांवकर (90) के बयान की पुष्टि की है, जिसमें उन्‍होंने शाहरुख के निर्देश पर काम करने की बात कही है।

अलीबाग प्‍लॉट की खरीद से जुड़े एक अन्‍य दस्‍तावेज में भी फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। इसमें संबंधित प्‍लॉट पर 1991 से पहले भी एक बंगला होने का उल्‍लेख किया गया है। लेकिन, गूगल अर्थ सैटेलाइट से प्राप्‍त चित्रों में यहां पर बंगला होने के दावों की पुष्टि नहीं हुई। इसके अलावा शाहरुख की कंपनी ‘देजा वू फार्म्‍स’ ने रजिस्‍ट्रार ऑफ कंपनीज को सौंपे दस्‍तावेज में फार्महाउस पर 16 करोड़ रुपये का निवेश दिखाया था। हालांकि, आई-टी डिपार्टमेंट ने फार्महाउस के निर्माण पर तकरीबन 50 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान जताया है। जांच अधिकारी फिलहाल निवेश और फंड के सोर्स का पता लगाने में जुटे हैं। आयकर विभाग ने देजा वू फार्म्‍स से वित्‍तीय लेनदेन से जुड़े दस्‍तावेज मांगे हैं। ‘इंडिया टुडे’ के अनुसार, शाहरुख के फार्महाउस को पिछले साल दिसंबर में भी अटैच किया गया था।

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महाराष्‍ट्र के कानून के तहत कृषि योग्‍य जमीन पर निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। आईटी अधिकारी ने बताया था कि प्रोहिबीशन ऑफ बेनामी प्रोपर्टी ट्रांजेक्शन एक्ट (पीबीपीटी कानून) की धारा 24 के तहत जांच अधिकारी संपत्ति को अटैच कर सकते हैं। जांच रिपोर्ट के अनुसार, ‘यह लेनदेन पीबीपीटी अधिनियम की धारा 2(9) के अनुसार बेनामी लेनदेन की परिभाषा के अंतर्गत आता है, जहां शाहरुख के फायदे के लिए देजा वू फार्म्स ने बेनामिदार के रूप में काम किया है। इस प्रकार शाहरुख निर्धारित कानून के तहत एक लाभार्थी है।’ अलीबाग के प्‍लॉट के कृषि भूमि होने के कारण शुरुआती तीन वर्षों में खेतीबारी के लिए इस्‍तेमाल किया जाना था, लेकिन जांच में पता चला कि कंपनी ने अभी तक कृषि से कोई कमी नहीं दिखाई।