कोरोना वायरस महामारी और करीब ढाई महीने के लॉकडाउन के बाद फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में एक बार फिर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने गाइडलाइंस भी जारी की है, जिसके मुताबिक 65 साल की उम्र से ज्यादा और दस साल से छोटे कलाकारों को सेट पर जाने की मनाही होगी। हालांकि वरिष्ठ कलाकार सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं और उन्होंने सरकार से गाइडलाइंस में बदलाव की मांग की है।

सरकार के फैसले पर एक्टर प्रमोद पांडेय नाराजगी जाहिर करते हुए कहते हैं, ‘जीने के लिए काम करना भारतीय संविधान के भीतर हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। इस अधिकार से कोई हमें वंचित नहीं कर सकता है। अगर हम काम करना बंद कर देंगे तो कोरोना वायरस से भले ही बच जाए मगर बेरोजगारी से जरूर मर जाएंगे। लॉकडाउन से पहले मैं एक्टिंग कर 40-45 हजार रुपए कमा लेता था, अब मैं खाली बैठा हूं।’ प्रमोद पांडेय ने सरकार के इस प्रोटोकॉल को चुनौती देते हुए कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है।

टीवी और फिल्म एक्टर राजेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि सरकार का फैसला एक तरफा है। देश में बाकी के पेशे हैं और उनमें 65 साल से ऊपर के लोगों को काम करने की अनुमति है। तो हमें काम करने की अनुमति क्यों नहीं मिल सकती है। हमें अछूत ना बनाया जाए।

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मशहूर फिल्म और टीवी कलाकार सुहासिनी मूले कहती हैं कि अगर आपको 65 साल का नियम बनाना ही है तो हमारे नेता लद्दाख क्यों जा रहे हैं। हमारे नेता धरना क्यों दे रहे हैं। हमने क्या गलती की और हमारे ऊपर ही ये पाबंदियां क्यों लगाई गईं? उन्होंने कहा कि ये नियम और लक्षण रेखा वाहियात है।

वो कहती हैं कि मैंने मार्च से अभी तक कोई काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में हजारों लोग ऐसे हैं जिनकी एक ही आजिविका है और उनके लिए काम करना बहुत जरुरी है। तो ऐसे हालात में हमारे जैसे लोग क्या करेंगे।