उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून समेत उत्तराखंड के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अध्ययन कर रहे कश्मीरी छात्र-छात्राओं की समुचित सुरक्षा के निर्देश राज्य के आला अधिकारियों को दिए हैं। केंद्र सरकार के द्वारा कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाने तथा जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख को अलग से केंद्र शासित राज्य बनाने के फैसले का मुख्यमंत्री ने स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड के शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत कश्मीरी छात्र-छात्राओं को समुचित सुरक्षा दी जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने बताया कि राज्य के उन सभी शिक्षण संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है जिन शिक्षण संस्थानों में कश्मीरी छात्र-छात्राएं पढ़ाई करती हैं। कश्मीरी छात्र-छात्राओं को पुलिस ने भरोसा दिलाया कि वे यहां सुरक्षित है और बिना किसी दबाव के अपनी शिक्षा जारी रखें। रतूड़ी के मुताबिक देहरादून में तीन-चार हजार से ज्यादा कश्मीरी छात्र-छात्राएं विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत हैं। फिलहाल बकरा ईद के कारण काफी संख्या में कश्मीरी छात्र-छात्राएं ईद मनाने के लिए कश्मीर गए हुए हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में अलर्ट घोषित किया गया है। राज्य की अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय चेक पोस्टों पर पुलिस फोर्स बढ़ा दी गई है और सघन जांच अभियान चल रहा है। रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर खास नजर पुलिस रख रही है। देहरादून के विभिन्न सरकारी संस्थानों और केंद्रीय संस्थानों पर भी सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है। जिन शिक्षण संस्थानों में कश्मीरी छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं ,उनकी सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है स्थानीय नागरिकों और कश्मीरी छात्र छात्राओंं को किसी भी तरह की अफवाहों से सचेत रहने के लिए कहा गया है। पुलिस अपनी पैनी निगाहें बनाए हुए है।
[bc_video video_id=”6069046756001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
वहीं दूसरी ओर देहरादून में रह रहे विस्थापित कश्मीरी परिवारों में केंद्र सरकार के फैसले के बाद खुशी का माहौल देखा गया। देहरादून के एक मोहल्ले में रह रहे एक जुत्शी और हरिद्वार में रह रहे कौल कश्मीरी परिवार ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि केंद्र के फैसले से विस्थापित कश्मीरियों में अब विश्वास जगेगा और वे एक दिन फिर कश्मीर जाकर बस सकेंगे।
