बीते दिनों सरकार, सवर्ण और दलितों में मतभेद देखने को मिला। इस मामले में हंगामे से लेकर हिंसा तक हुई। अभी भी इस मुद्दे पर गतिरोध जारी है। लेकिन अब इसी मसले पर एक नया ही मामला सामने आया है। लखनऊ स्थित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के आठ सवर्ण छात्रों ने दलित छात्रों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। आरोप लगाया कि दलित छात्र उन्हें पूजा नहीं करने दे रहे हैं। इस शिकायत के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सवर्ण छात्रों को उस हॉस्टल से निकालकर दूसरे में शिफ्ट कर दिया।

बीबीएयू विश्वविद्यालय के सिद्धार्थ हॉस्टल में रह रहे आठ सवर्ण छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से दलित छात्रों के खिलाफ शिकायत की थी। आरोप लगाया गया था कि दलित छात्र उन्हें कमरे में पूजा करने से रोकते हैं। इस शिकायत के बाद उल्टा छात्रों को ही बाहर का रास्ता दिखाते हिए उन्हें कनिष्क हॅास्टल में शिफ्ट कर दिया गया। वहीं दलित छात्रों की तरफ से पत्र लिखकर मांग की गई थी कि सिद्धार्थ हॉस्टल में सिर्फ दलित छात्रों को ही कमरे दिए जाएं।

सवर्ण छात्रों की तरफ से ये शिकायत अगस्त में दी गई थी। इसमें कहा गया था,  “कमरे में सुबह के समय पूजा करने पर दलित छात्र आपत्ति जताते हैं। उनका कहना था कि यहां पूजा नहीं कर सकते और न ही किसी भगवान की मूर्ति या फोटो लगा सकते हैं। यहां रहना है तो दलितों की विचारधारा पर ही चलना होगा।”

सवर्ण छात्रों की तरफ से इस बारे में कार्रवाई की मांग की गई थी। इस पर प्रशासन ने सरर्ण छात्रों की हो सजा दे दी। 15 दिन पहले सभी छात्रों को दूसरे हॉस्टल में शिफ्ट करा दिया गया। सवर्ण छात्र बताते हैं कि विवि प्रशासन को कुछ छात्रों ने विश्वकर्मा पूजा करने पर एजराज जताया था।

दलित छात्रों की तरफ से अगस्त में ही डीन स्टूडेंट वेलफेयर मेंस व वीमन को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि सिद्धार्थ हॉस्टल के साथ चित्रलेखा गर्ल्स हॅास्टल को भी सिर्फ दलितों के लिए ही उपयोग में लाए जाए। हालांकि इस मांग को उस समय की डीन स्टूडेंट मेंस व वीमन वीमन प्रोफेसर सुदर्शन वर्मा ने मानने से मना कर दिया था।

विश्वविद्यालय में जारी इस लड़ाई पर प्रोफेसर बीएस भदौरिया का कहाना है, “हॉस्टल को इस तरह से नहीं बांटा जाना चाहिए लेकिन हमारे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है। सवर्ण छात्रों और उनके अभिभावकों की तरफ से सु्रक्षा देने की मांग पर कहा कि, हम 24 घंटे सुरक्षा नहीं दे सकते हैं। हम मानते हैं कि छात्रों को परेशान किया जा रहा था, इसीलिए हमने हॅास्टल अलग करना ही बेहतर समझा।”

यूनीवर्सिटी में छिड़ी इस जंग पर वीसी ने अपनी ‘मजबूरी’ जाहिर करते हिए कहा, “विश्वविद्यालय प्रशासन रोजाना बीचबचाव करने नहीं आ सकता। मामला बढ़ने की वजह से ही दोनों वर्ग के छात्रों को अलग-अलग कर दिया गया।”