मध्य प्रदेश के सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग में कई सरकारी दस्तावेज और करोड़ों रुपये का फर्नीचर जलकर खाक हो गया है। यहां पर विभिन्न विभागों के कार्यालय मौजूद हैं। बिल्डिंग की तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी मंजिल पर आग लगी थी, जिसे बुझाने के लिए सेना, वायु सेना और अलग-अलग एजेंसियों को बुलाना पड़ा था। देखते ही देखते आग ने इतना विकराल रूप ले लिया था कि इसे बुझाने में 14 घंटे से भी ज्यादा समय लग गया।

जिन मंजिलों पर आग लगी है, उनमें जनजातीय कल्याण, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के स्थापना संबंधी काम होते हैं। आग लगने से जनजातीय विभाग के उपकरण नष्ट हो गए हैं। कार्यालय का ज्यादातर काम ऑनलाइन होता है इसलिए विभाग का कोई भी काम प्रभावित नहीं होगा। हालांकि, इस भीषण आग में 25 करोड़ रुपये का फर्नीचर और 12 हजार फाइलें आग में स्वाहा हो गई हैं। जिस वक्त यहां आग लगी, उस समय 1000 लोग भवन में काम कर रहे थे। शुक्र ये रहा कि समय रहते लोग वहां से निकल गए और अपनी जान बचाई। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

इस 6 मंजिला सतपुड़ा भवन में जनजातीय कार्य, वन, स्वास्थ्य, मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग प्रकरण, नेशनल इन्फॉर्मेशन सिस्टम और जन शिकायत जैसे विभागों का काम होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग लगने से कर्मचारियो के सर्विस रिकॉर्ड, बजट का लेखा जोखा और शिकायत संबंधी दस्तावेज जलकर खाक हो गए हैं। वहीं, कोरोना काल में अस्पतालों को किए गए भुगतान संबंधी फाइलें भी जल गई हैं। हालांकि, टेंडर और भर्ती संबंधी दस्तावेजों को नुकसान नहीं हुआ है।

सबसे पहले तीसरी मंजिल पर मौजूद जनजातीय विभाग के कार्यालय में ही आग लगी थी। शाम के 4 बजे सब लोग काम खत्म करके घर जाने की तैयारी में थे, इतने में ही आग धधक उठी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, एयर कंडीशनर में शॉर्ट सर्किट के कारण यह हादसा हुआ है। हालांकि, आग के कारणों का पता लगाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कमेटी भी बनाई है, जो जांच के बाद सीएम को रिपोर्ट सौंपेगी।

उधर, इस हादसे को लेकर कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान सरकार पर हमलावर हो गई है और आरोप लगा रही है कि भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलों को जलाने की साजिश की गई है। मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे कुछ महीने पहले ऐसा हादसा हुआ है। इससे पहले 2018 और 2013 में भी चुनाव के आस पास ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। 14 दिसंबर, 2018 को सतपुड़ा भवन में आग लग गई थी। विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही यह घटना हुई थी, जिसमें कई संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज जल गए थे। वहीं, साल 2013 में चुनाव से पहले भवन की तीसरी मंजिल पर आग लग गई थी।