पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की पत्नी ने आरोप लगाया है कि उनके पति को पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने की सजा मिल रही है। बता दें कि संजीव भट्ट को 1990 में पुलिस कस्टडी में हुई एक शख्स की मौत के मामले में उम्रकैद की सजा मिली है और वह फिलहाल जेल में हैं। संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट और उनके बेटे ने मुंबई में मंगलवार को आयोजित ‘कैंपेन फॉर जस्टिस’ कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया को संबोधित किया। गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर रहे भट्ट ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के 2002 के गुजरात दंगों को हैंडल करने के तरीके पर सवाल उठाए थे। उन्हें 2011 में सस्पेंड कर दिया गया था। वहीं, अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने भट्ट को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। भट्ट पर ‘सर्विस से गलत ढंग से गायब रहने’ के अलावा कई आरोप थे।

श्वेता ने कहा कि 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के बाद जमजोधपुर कस्बे में हुए दंगे के बाद 133 लोगों को हिरासत में लिया गया था। उस वक्त संजीव भट्ट वहां से काफी दूर थे और वह उनके कार्यक्षेत्र के बाहर का मामला था। श्वेता के मुताबिक, पुलिस के पास कोई गवाह नहीं जो यह बताए कि संजीव ने हिरासत में लिए गए 133 लोगों से पूछताछ की या उन्हें गिरफ्तार किया। श्वेता ने कहा, ‘सितंबर 2018 में पुलिस मेरे घर आई और मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कभी जमानत नहीं मिली। यह सब कुछ इसलिए क्योंकि उन्होंने मोदी के खिलाफ आवाज उठाई। हमारी सुरक्षा वापस ले ली गई।’

श्वेता ने आगे कहा, ‘जमानत पर सुनवाई से ठीक पहले जनवरी में बिना रजिस्ट्रेशन प्लेट वाले एक डंपर ट्रक ने मेरी कार में टक्कर मारी और तब तक घसीटा जब तक हमारी कार एक डिवाइडर से नहीं टकरा गई। यह घटना ऐसी जगह पर हुई जहां हैवी व्हीकल्स को आने की इजाजत नहीं है।’ संजीव भट्ट की पत्नी ने आगे बताया कि अधिकारियों ने उनके 23 साल पुराने घर को तोड़ डाला और इसकी फीस के तौर पर ढाई लाख रुपये का बिल पकड़ा दिया।