Sambhal Violence, Allahabad High Court: संभल हिंसा में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सांसद के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द नहीं होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही कहा कि संभल हिंसा की जांच में पूरी तरह से सहयोग करें। हालांकि, कोर्ट ने सांसद बर्क की गिरफ्तारी पर फौरी रोक लगा दी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के सांसद के मामले पर सुनवाई करते हुए एफआईआर रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि जिन धाराओं में सासंद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। उनमें सात साल की सजा होती है। इस मामले में पुलिस बर्क को नोटिस जारी करेगी। नोटिस जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए भी बुला सकती है। बर्क को पुलिस के साथ पूछताछ में सहयोग करना होगा। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पुलिस के नोटिस देने पर बयान दर्ज करने के लिए सांसद बर्क नहीं आएंगे और पुलिस की जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो ही उनकी गिरफ्तारी होगी।

संभल में भड़की थी हिंसा

बता दें कि संभल के समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ संभल थाने में उकसाने के आरोप में पुलसि ने एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर 24 नंवबर को हुई हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के मामले में सांसद के खिलाफ नामजद की गई थी। संभल में 24 नवंबर को हिंसा भड़की थी। कोर्ट के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद में पहली बार सर्वे किया गया था। इसके फिर एक बार फिर जब सुबह करीब 7 बजे कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर और उनकी टीम के छह सदस्य दूसरे फेज के सर्वे के लिए मस्जिद में गए तो हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इतना ही नहीं कुछ पुलिसवालों को भी चोटें आईं थीं।

संभल में क्यों हुए थे 1978 में दंगे?

संभल सर्वे रिपोर्ट में क्या-क्या खुलासा?

अब संभल की सर्वे रिपोर्ट में खुलासे की बात करें तो हिंदू धर्म से जुड़े 50 से ज्यादा फूल के निशानों का भी इसमें जिक्र है। इसके अलावा दो बरगद के पेड़ भी मिले हैं और मस्जिद में एक कुआं होने की भी बात सामने आई है। अब सारे सबूत हिंदू धर्म से ही जुड़े हुए हैं। इसी कारण कहा जा रहा है कि इस मस्जिद से पहले यहां एक मंदिर हुआ करता था। पढ़ें पूरी खबर…