Samadhi Wale Babaji Skeleton: गुजरात के मेहसाणा जिले में 2019 में खुदाई में एक कंकाल मिला था। तब इस कंकाल को एक खुले मैदान में तंबू के अंदर रखा गया था लेकिन अब इसे वडनगर आर्कियोलॉजिकल एक्सपेरिमेंटल म्यूजियम (Vadnagar Archaeological Experiential Museum) में रख दिया गया है। इस साल की शुरुआत में इस म्यूजियम का उद्घाटन किया गया था।

2019 में जब रेलवे लाइन के पार अनाज गोदाम में खुदाई की गई थी तब यह कंकाल मिला था। तब इस कंकाल को गुजरात सरकार को सौंप दिया गया था। यह कंकाल 1,000 साल से ज्यादा पुराना है।

18 अप्रैल को द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि कैसे वडनगर में एक टेंट के अंदर मानव कंकाल रखा हुआ है और सरकार इस कंकाल को कहां रखा जाए, इसके बारे में फैसले पर विचार कर रही है। अब इस बारे में फैसला लिया गया और इसे म्यूजियम में रख दिया गया।

‘यह मेरे लिए मेडल है…’, बिहार में दो FIR दर्ज होने पर बोले राहुल गांधी

ट्रेलर में ले जाया गया कंकाल

साल 2023 से इस कंकाल को वडनगर के सरकारी आवास के एक खुले मैदान में तिरपाल और कपड़े के तंबू में रखा गया था। अधिकारियों ने बताया कि इस मानव कंकाल को टेंट से बाहर निकालने के लिए क्रेन लगाई गई और एक ट्रेलर में ले जाया गया। इस दौरान ASI और राज्य सरकार के अधिकारी मौजूद रहे। इस पूरी प्रक्रिया में 5 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा।

‘पाकिस्तान डरे हुए कुत्ते की तरह टांगों के बीच दुम दबाकर सीजफायर के लिए भागा…’

‘समाधि वाले बाबाजी’ नाम है प्रचलित है कंकाल

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कंकाल इस तरह था जैसे किसी को बैठी हुई स्थिति में समाधि दी गई हो। इस तरह की प्रथा उस समय गुजरात में सभी धर्मों में प्रचलित थी। इस कंकाल को ‘समाधि वाले बाबाजी’ के नाम से जाना जाता है।

‘Heritage: Journal of Multidisciplinary Studies in Archaeology’ के शीर्षक वाले पेपर में Archeological Survey of India’s (ASI) के पूर्व सर्किल अफसर अभिजीत आंबेकर और अन्य एक्सपर्ट्स ने लिखा था कि इस तरह की समाधि को 9वीं-10वीं शताब्दी CE से पहले का माना जा सकता है। पेपर में लिखा था कि तब इस तरह का दफन केवल तीन और जगहों- राजस्थान में बालाथल, मध्य प्रदेश में त्रिपुरी और महाराष्ट्र के आदम में होता था।

यह भी पढ़ें- क्या शशि थरूर ने ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघ दी है? कांग्रेस ने पार्टी नेताओं को दिया ‘क्लियर मेसेज’