भारतीय सेना में कई सालों तक अपनी सेवाएं देने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह अपनी भारतीय नागरिकता से जुड़े दस्तावेज दिखाने में नाकामयाब रहे हैं, जिसके चलते मोहम्मद सनाउल्लाह को फिलहाल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। वहीं असम पुलिस के पूर्व अधिकारी चंद्रामल दास, जिनकी जांच के आधार पर ही मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित किया गया है, उनका कहना है कि जब उन्होंने जांच की थी तो उन्होंने किसी अन्य सनाउल्लाह नाम के व्यक्ति से मुलाकात की थी। चंद्रामल दास का कहना है कि जिस सनाउल्लाह से उनकी मुलाकात हुई थी, वह एक मजदूर था।

एनडीटीवी के साथ बातचीत में असम पुलिस के पूर्व अधिकारी चंद्रामल दास ने बताया कि सैन्य अधिकारी सनाउल्लाह, वह व्यक्ति नहीं हैं, जिनसे उन्होंने पूछताछ की थी। यह गलत पहचान से जुड़ा हुआ मामला है। दास के अनुसार, जिस मामले की उन्होंने जांच की थी, वह अलग था, वह कोई दूसरा सनाउल्लाह था। बता दें कि चंद्रामल दास फिलहाल असम पुलिस से रिटायर हो चुके हैं। जब असम पुलिस के इस पूर्व अधिकारी से पूछा गया कि यह कन्फ्यूजन कैसे हो सकता है? तो इसके जवाब में दास ने बताया कि उन्होंने 10 साल पहले इस मामले की जांच की थी, इसलिए उन्हें अब इस बारे में कुछ याद नहीं है। दास के अनुसार, अब वह सिर्फ इतना कह सकते हैं कि प्रशासनिक स्तर पर कुछ चूक हुई है। जिसमें एक व्यक्ति की रिपोर्ट दूसरे व्यक्ति के रिकॉर्ड में चली गई है, जिनके नाम एक हैं।

जब इस बारे में असम पुलिस से पूछा गया तो उन्होंने भी माना कि प्रशासनिक चूक हो सकती है। असम पुलिस का कहना है कि हम कानून के मुताबिक काम कर रहे हैं। हम ट्रिब्यूनल कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं। फिलहाल सनाउल्लाह को असम बॉर्डर पुलिस की सेवाओं से हटा दिया गया है। बता दें कि भारतीय सेना में करीब 32 सालों तक अपनी सेवाएं देने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह को बीते हफ्ते गिरफ्तार किया गया है। सनाउल्लाह नागरिक रजिस्टर की जांच के तहत अपने भारतीय नागरिक होने के दस्तावेज पेश नहीं कर सके थे। सनाउल्लाह सेना के साथ कश्मीर, मणिपुर आदि जगहों पर तैनात रहे हैं।

सेना से रिटायर होने के बाद सनाउल्लाह फिलहाल असम बॉर्डर पुलिस में बतौर सब-इंस्पेक्टर नौकरी कर रहे थे। असम बॉर्डर पुलिस अवैध रुप से राज्य में आने वाले बांग्लादेशी नागरिकों को रोकने का काम करती है। मोहम्मद सनाउल्लाह का मामला साल 2009 में फोरनर्स ट्रिब्यूनल में रजिस्टर्ड हुआ था। लेकिन सनाउल्लाह को दिसंबर, 2017 में इसकी जानकारी हुई। बता दें कि कानून के मुताबिक साल 1971 के बाद राज्य में आने वाले लोगों को अवैध प्रवासी माना जाएगा।