जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों की आवाजाही पर बंदिश के कारण घाटी में लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है। राज्य के राजनीतिक दल भी लोगों के समर्थन में आगे आ गए हैं। जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अमरनाथ यात्रा की व्यवस्था के कश्मीरी लोगों के खिलाफ है।

महबूबा ने कहा कि इससे स्थानीय लोगों की रोजमर्रा का जीवन मुश्किल हो गया है। उन्होंने इस मामले में राज्यपाल से हस्तक्षेप करने को कहा। अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर तीर्थयात्रियों के गुजरने के दौरान आमलोगों की आवाजाही को पूरी तरह रोक दिया जा रहा है। इसमें श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के 97 किलोमीटर लंबे हिस्से को पांच घंटे के लिए बंद करना शामिल है। इसके अलावा बनिहाल-श्रीनगर मार्ग पर भी रेल ट्रैफिक को पांच घंटे के लिए रोक दिया गया।

वहीं हाईवे पर अनंतनाग से पहलगाम के बीच आम लोगों की आवाजाही के साथ ही पैदल चलने पर भी प्रतिबंध लगाया गया। इस संबंध में राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कहा कि लोगों को इस प्रतिबंध को सहना ही होगा। मलिक ने कहा, ‘यदि आप पश्चिमी यूपी में जाएंगे तो वहां कांवड़ यात्रा के दौरान एक महीने तक हाईवे पर किसी भी वाहन की आवाजाही बंद रहती है और कोई भी शिकायत नहीं करता है। यहां तो सिर्फ 2 घंटे के प्रतिबंध पर हाय तौबा मची हुई है। हमें इसे बर्दाश्त करना होगा।’

इससे पहले अनंतनाग के एक व्यक्ति ने कहा, ‘जब अमरनाथ यात्रियों का वाहन गुजर रहा है तो सुरक्षा बल हर आम लोगों के वाहन को रोक दे रहे हैं। इससे न सिर्फ भारी परेशानी हो रही है बल्कि लोगों का बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है।’ राज्य के राजनीतिक दल भी इस प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स यूनाइटेड फोरम (पीयूएफ)ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। पीयूएफ शाह फैजल की पीपुल्स मूवमेंट और इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तिहाद का गठबंधन है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ली ने कहा, ‘आज हम देख रहे हैं कि किस तरह आम लोगों के साथ व्यवहार किया जा रहा है।’ जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल प्रशासन 30 वर्षों में एकमात्र प्रशासन है जिसे राजमार्ग बंद करने की जरूरत महसूस हुई।