भारतीय वन सेवा (आइएएफएस) के विवादों में रहे अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को गुरुवार को एक बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और एम्स के अध्यक्ष एवं इसके निदेशक द्वारा जारी आदेशों को रद्द कर दिया है। दरअसल, चतुर्वेदी के एम्स में उपसचिव रहने के दौरान कथित अनुशासनहीनता और कामकाजी नैतिकता की कमी के कारण उन्हें अभ्यारोपित करने के आदेश जारी किए गए थे।
पीके बसु की अध्यक्षता वाली अधिकरण के पीठ ने दोनों आदेशों को रद्द करते हुए इस बात का जिक्र किया कि चतुर्वेदी को नोटिस जारी किए बगैर ये जारी किए गए जो नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। दोनों आदेशों में चतुर्वेदी की साल 2015-16 के लिए सालाना कार्यनिष्पादन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) भी रखे जाने को कहा गया था जिसके खिलाफ उन्होंने कैट का रुख किया था।
अधिकरण ने कहा कि सात जनवरी और 30 मार्च के आदेश प्रतिवादियों (एम्स के निदेशक और इसके अध्यक्ष) ने वादी (चतुर्वेदी) को कोई कारण बताओ नोटिस जारी किए बगैर जारी किए। इसकी प्रतियां मुख्य सचिव, उत्तराखंड सहित अन्य संबद्ध मंत्रालयों को भी दी गई। अधिकरण ने कहा कि यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। दोनों ही आदेश रद्द किए जाते हैं।
सात अगस्त के अपने आदेश में एम्स के निदेशक ने चतुर्वेदी की अवज्ञा, अनुशासनहीनता और कामकाजी नैतिकता की कमी के कारण नाखुशी जाहिर की थी। उन्होंने यह भी आदेश दिया था कि 2015-16 के लिए उनकी एपीएआर में उनके निजी जीवन में ज्ञापन की प्रति विचार के लिए रखी जाए। नड्डा ने इस ज्ञापन को कायम रखते हुए एक निर्देश के साथ दोहराया कि इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और कैडर नियंत्रण प्राधिकार को भेजा जा सकता है। रमन मैगसायसाय पुरस्कार विजेता अधिकारी चतुर्वेदी ने कैट का रुख करते हुए दावा किया था कि इन आदेशों का मकसद उनके सेवा रिकार्ड को दागदार करना है।
